पाकुड़(PAKUR): पाकुड़ के हिरणपुर प्रखंड का हाथकाठी गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय आज एक अलग ही रंग में रंगा नजर आया.गर्मी की लंबी छुट्टियों के बाद जैसे ही विद्यालय के फाटक खुले बच्चों की टोलियां धीरे-धीरे अंदर आई. कुछ सहमे-सहमे, तो कुछ उत्साहित.छुट्टियों की मस्ती के बाद एक अनजाना-सा संकोच था उनके अंदर लेकिन अगले ही पल एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने नन्हे बच्चों का दिलों को छू लिया,जो काफी खास था.

फूल माला से हुआ बच्चों का स्वागत

विद्यालय के प्रधान शिक्षक दीपक साहा ने बच्चों के स्वागत को सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं रहने दिया, बल्कि उसे एक भावनात्मक अनुभव में बदल दिया.प्रधान शिक्षक दीपक साहा बच्चों के स्वागत के लिए द्वार पर खड़े थे.हाथ में तिलक की थाली, गले में माला, और चेहरे पर अपार स्नेह की मुस्कान. जैसे ही एक-एक कर बच्चे उनके पास पहुंचे, उन्होंने हर बालक का माथा तिलक से सजाया, प्रेम से माला पहनाई, और स्नेहिल हाथ से सिर पर आशीर्वाद रखा.

हुआ ऐसा स्वागत कि खिल गये चेहरे

प्रधान शिक्षक ने यह बता दिया कि यह विद्यालय केवल पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि बच्चों का दूसरा घर है, और वे स्वयं उन बच्चों के अभिभावक समान है.बच्चों की आंखों में उस क्षण जो भाव थे, उन्हें शब्दों में पिरोना कठिन है. कुछ के चेहरों पर हैरानी, कुछ पर खुशी, तो कुछ की आंखों में भावुक चमक जैसे किसी ने उन्हें बताया हो कि वे महत्वपूर्ण हैं, प्रिय हैं, और उनकी पढ़ाई का यह सफर अकेला नहीं होगा.

गुरु-शिष्य के प्रेम को दर्शाता है ये कदम

इस स्वागत ने केवल एक सत्र की शुरुआत नहीं की, यह बच्चों के मन में विद्यालय के प्रति अपनत्व का बीज बो गया. शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होती. यह रिश्तों, भावनाओं और भरोसे से भी बुनी जाती है, और यही किया प्रधान शिक्षक दीपक साहा ने उनका यह भावनात्मक और प्रेरणादायक कदम न केवल बच्चों में आत्मविश्वास और उत्साह का संचार करेगा, बल्कि समुदाय के लिए यह संदेश भी है कि एक शिक्षक अगर चाहे, तो विद्यालय को सिर्फ ईट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि प्यार, संस्कार और भविष्य का मंदिर बना सकता है.

रिपोर्ट-नंदकिशोर मंडल