रांची(RANCHI): झारखंड में सरना धर्म कोड और सरना स्थल को लेकर बवाल मचा है. पूरे राज्य के आदिवासी आक्रोशित है. ऐसे में हेमंत सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश आदिवासियों में देखने को मिल रहा है. इस बीच झारखंड बंद का ऐलान हुआ और सड़क पर गुस्सा साफ देखने को मिला. अब यह भी जानना जरूरी है कि इस नारजगी और पूरे बवाल का असली वजह क्या है. क्यों इतना आक्रोशित आदिवासी हो गए.

तो चलिए बताते है कि पूरा मामला क्या है. सबसे पहले बात सरना धर्म कोड को लेकर बवाल की बात करते है. इस दौरान इस बवाल में हेमंत सोरेन सीधे तो नहीं है. लेकिन कई बार आदिवासी यह बोलते दिखे है कि केंद्र का मुद्दा जरूर है. लेकिन राज्य सरकार उतना मजबूती के साथ सरना धर्म कोड की मांग नहीं करती है. भाषणों में जिक्र होता है लेकिन जब सही जगह पर आवाज उठाने की बात आती है तो राज्य सरकार मजबूती से इस मुद्दे को नहीं रखती है. अब इसे लेकर भी हेमंत सरकार घिर रही है.

दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा देखें तो सीरम टोली सरना स्थल को लेकर है. सरना स्थल के सामने बने मेकॉन सीरम टोली ब्रिज का रैम्प हटाने की मांग हो रही है. इसकी शुरुआत 6 माह पूर्व हुई. जब रैम्प का काम किया जा रहा था. लेकिन इस पर किसी ने गंभीरता से विचार नहीं किया. यह मामला बढ़ा और आदिवासी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर गए. रांची से लेकर ग्रामीण इलाके और अन्य आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बंदी के दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबजी की गई. सभी सरकार के खिलद आवाज बुलंद किया.

अब इस पूरे बवाल में और भी कई मुद्दों को आदिवासी समाज ने जोड़ा है. जिसमें अब मांग उठ रही है कि आदिवासी के धर्म स्थल को सुरक्षा दी जाए. कहीं जमीन पर कब्जा हो जाता है तो कहीं हमला बोल दिया जाता है. ऐसे में अबुआ सरकार में कब तक बबुआ राज हावी होगा. सभी बिंदुओं पर अब विचार करने की जरूरत है. नहीं तो आने वाले दिनों में इससे भी बड़ा आंदोलन का रूप देखने को मिल सकता है.

रिपोर्ट-समीर