मुजफ्फरपुर(MUJAFFARPUR): बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से एक बेहद हृदयविदारक खबर सामने आई है. जहां तुर्की थाना क्षेत्र की एक दलित नाबालिग बच्ची, जो 26 मई से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी, आखिरकार 1 जून को पटना के पीएमसीएच में दम तोड़ गई. यह घटना न केवल दरिंदगी की हदें पार करने वाली है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी उजागर करती है.
खून से लथपथ खेत में मिली थी बच्ची
आपको बताये कि 26 मई को नाबालिग बच्ची गांव के खेत में खून से लथपथ हालत में मिली थी. गला और पेट धारदार हथियार से चीर दिए गए थे. आनन-फानन में उसे मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर उसे पटना रेफर कर दिया गया.पटना पहुंचने के बावजूद मासूम को तुरंत इलाज नहीं मिल सका. बताया जा रहा है कि घंटों एंबुलेंस में पड़ी रही बच्ची को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य नेताओं के हस्तक्षेप के बाद ही पीएमसीएच में बेड मिला.तब जाकर इलाज शुरू हो सका, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
आरोपी अपनी बहन के साथ भी कर चुका है रेप
पुलिस के अनुसार, आरोपी युवक गांव-गांव घूमकर मछली बेचता था और उसी दिन उसने बच्ची को कुड़कुड़े (चटपटे खाने) का लालच देकर खेत की ओर ले गया.वहां उसने उसके साथ क्रूरतापूर्वक अत्याचार किया.आरोपी पड़ोसी गांव का रहने वाला है और पहले भी अपनी ही बहन के साथ घिनौनी हरकत कर चुका है.ग्रामीण एसपी विद्यासागर ने बताया कि आरोपी मानसिक रूप से विक्षिप्त प्रतीत होता है. उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है.
घटना से पूरे बिहार में आक्रोश
घटना के बाद पूरे बिहार में आक्रोश फैल गया है. दलित संगठनों, महिला संगठनों और आम जनता ने इस घटना को ‘व्यवस्था की विफलता’ बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है. लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक नाबालिग बच्ची को अस्पताल में दाखिल करवाने के लिए नेताओं के हस्तक्षेप की ज़रूरत क्यों पड़ी
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