धनबाद(DHANBAD) - रेलवे ठेकेदार बबलू सिंह की हत्या के बाद कम से कम ठेकेदार जगत तो सहम ही गया है, लेकिन आज मुकेश पंडित हत्याकांड के खुलासे के लिए बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में एसएसपी संजीव कुमार ने  बबलू सिंह हत्याकांड के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा  कि सभी हत्याएं रंगदारी और वर्चस्व के लिए नहीं होती. इस कथन के माने -मतलब से इंकार नहीं किया जा सकता है.  हालांकि सूत्रों से जानकारी मिली है कि पुलिस के हाथ कुछ मजबूत क्लू लगे हैं. पुलिस टीम उस पर काम कर रही है. पुलिस के लिए भी इस हत्याकांड का खुलासा करना जरूरी है क्योंकि लोगों में दहशत का माहौल बन गया है. अभी तक तो लोग  गैंग्स ऑफ वासेपुर ,अमन सिंह गिरोह ,माफिया गिरोह से परेशान थे. लेकिन अब कोयले से अलग हटकर रेलवे ठेकेदारी में मर्डर से लोग डर गए है.  

लोगों  का प्रश्न -कोयलांचल में कौन सा काम सुरक्षित है ?

 लोगों का प्रश्न है कि आखिर वह कौन सा धंधा करें जो सुरक्षित हो.  हालांकि यह कोयलांचल है ,यहां पैसे के लिए कभी भी किसी की कोई  जान ले सकता है, क्योंकि अब तक जो देखा गया है ,उसमें यही हुआ है कि हत्यारों को बाहर से भाड़े पर बुलाया जाता है.  उन्हें हथियार और साधन यही उपलब्ध कराये जाते है , लोकल लिंक भी यही के होते हैं.  हत्या करने के बाद हत्यारे सब कुछ यहीं छोड़ कर एक सामान्य आदमी की तरह निकल जाते हैं और पुलिस पानी पीटती  रह जाती है.  बड़े-बड़े हत्याकांड में ऐसा ही देखा गया है.  नीरज सिंह हत्याकांड में भी बाहर के शूटरों  के शामिल होने का  खुलासा हो चुका है.  कई तो  अभी जेल में है, 
धनबाद में इसके पहले दो रेल ठेकेदार की हो चुकी है हत्या 

हालांकि रेलवे के ठेके में भी यहां एक दो हत्याएं हुई है, जैसा कि लोग बताते हैं रेलवे ठेकेदार धीरेंद्र कुमार सिंह की दिनदहाड़े धनबाद के बरटांड़  में उनके घर के पास ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.  इससे बहुत पहले धनबाद रेल मंडल कार्यालय परिसर में ही इरफान नामक रेलवे ठेकेदार  की दिन- दोपहर हत्या की गई थी.  वह रेलवे कर्मी का पुत्र बताया गया था और नया बाजार का रहने वाला था.  हत्या का आरोप गैंग्स ऑफ वासेपुर के लोगों पर लगा था.  यह भी बताना जरूरी है कि धनबाद रेल मंडल में बिहार के बाहुबलियों का वर्चस्व तो अधिक नहीं है लेकिन आद्रा  डिवीजन में बिहार के बाहुबलियों  की तूती बोलती है.  वहां उन्हीं के इशारे पर ठेका के  काम चलते है.  इसको लेकर हत्याएं होती रहती है.  बोकारो इसका मुख्य केंद्र रहा है और शनिवार को जिस जगह (फुलबंगला) बबलू सिंह की  हत्या हुई है, वहां वह आद्रा  मंडल से ही आवंटित कार्य करा रहे थे. 

हत्यारों का कोई न कोई लिंक था घटनास्थल पर मौजूद 
 
यह भी बात सही लगती है कि घटनास्थल पर बबलू सिंह के हर एक गतिविधियों की जानकारी हत्यारों को मिल रही थी, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि रेलवे फाटक बंद होने का फायदा हत्यारों को मिला.  तो हो सकता है कि  हत्यारे इस बात का इंतजार कर रहे थे कि  रेल फाटक बंद हो और वह बबलू सिंह का काम तमाम करें.  क्योंकि गेट बंद होने से बबलू सिंह को भीड़ -भाड़ वाले इलाके में भागने का  मौका नहीं मिलेगा.  सूत्रों का दावा है कि कोई न कोई लोकल लिंक घटनास्थल पर जरूर मौजूद था, जो हत्यारों को बबलू सिंह की हर एक गतिविधियों की जानकारी दे रहा था.