दुमका (DUMKA) : झारखंड संघर्षों की भूमि रही है. झारखंड आज अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है. देखते ही देखते झारखंड 25 वर्ष का हो गया. 25 वर्ष यानी युवा झारखंड. हर युवा का सपना होता है कि युवावस्था में वह अपने पैरों पर खड़े हो जाए.

25 वर्षों में सरकार की कुछ योजनाएं रही सुपर हिट

25 वर्ष में लगभग सभी दलों ने झारखंड पर शासन किया. वैसे तो सरकार की तमाम योजनाएं आम आवाम को ध्यान में रख कर बनाई जाती है. मकशद बस एक ही होता है कि जरूरतमंदों तक योजना पहुंचे और उस योजना के सहारे लाभुक आत्मनिर्भरता की राह पर कदम बढ़ाए. आज हम जिस योजना की बात कर रहे है वह योजना हेमंत सोरेन पार्ट 1 सरकार की सबसे चर्चित योजना रही जिसने हेमंत पार्ट 2 की मजबूत आधारशिला रखी. जी हां. हम बात कर रहे है मंईयां सम्मान योजना की, जिसने आधी आबादी को आत्मनिर्भरता की नई राह दिखाई.

मंईयां सम्मान योजना ने आधी आबादी को दिखाई नई राह

अगस्त 2024 में झारखंड सरकार ने मंईयां सम्मान योजना लाकर आधी आबादी को साधने का प्रयास किया. चुनावी वर्ष में शुरू हुई इस योजना में आरम्भ में महिलाओं को एक हजार रुपया मिलता था लेकिन चुनाव की घोषणा के पूर्व कैबिनेट की बैठक में सरकार ने राशि एक हजार रुपए से बढ़ाकर ढ़ाई हजार रुपए पारित कर दिया. सरकार का यह फैसला 2024 के विधान सभा चुनाव में मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ. एक हजार रुपया प्राप्त करने वाली महिलाओं ने ढाई हजार रुपया की चाहत में सरकार के पक्ष में खुलकर मतदान किया. नतीजा यह हुआ कि हेमंत पार्ट 1 के बाद हेमंत पार्ट 2 सत्ता में आई.

मंईयां सम्मान योजना के तहत प्रत्येक महीने महिलाओं के खाते में मिल रहा ₹2500

हेमंत पार्ट 2 की सरकार बनते ही महिलाओं के खाते में ₹2500 प्रति माह आने लगा जिसने महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह दिखाई. कल तक घर में रह कर चूल्हा वर्तन करने वाली महिलाएं सरकार से प्राप्त सहयोग के सहारे अपने भविष्य को सजाने संवारने की योजना बनाने लगी. बेहतर भविष्य की चाहत में महिलाओं की कदम देहरी के पार निकल गई. ऐसी महिलाओं को JSLPS रूपी पंख का सहारा मिला. महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर आत्मनिर्भरता की उड़ान भरने लगी. मंईयां सम्मान योजना और JSLPS के सहारे महिलाएं कैसे आत्मनिर्भरता की नई गाथा लिख रही है इसकी एक बानगी देखने को मिल रहा जा झारखंड की उपराजधानी दुमका में.

सदर प्रखंड कार्यालय परिसर में संचालित है मंईयां आजीविका केंद्र

दुमका की दर्जनों महिलाएं टेलरिंग का प्रशिक्षण लेकर मंईयां स्वयं आजीविका केंद्र से जुड़ गई. समय पर महिलाएं सदर प्रखंड कार्यालय पहुंच कर कपड़ा सिलने का काम कर रही है. सरकारी विद्यालय में छात्र छात्राओं को मिलने वाला स्कूल ड्रेस यहां तैयार किया जाता है. इन्हें मार्केटिंग की भी चिंता नहीं है, क्योंकि इनके द्वारा निर्मित स्कूल ड्रेस विद्यालय को उपलब्ध कराया जाता है.

विभागीय मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने भी की सराहना

ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह कुछ दिन पूर्व जब दुमका पहुंची थी तो उसने मंईयां स्वयं सहायता समूह का अवलोकन किया. निरीक्षण के पश्चात उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार में लगातार महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है. मंईयां सम्मान योजना उसी की एक कड़ी है. उस सहयोग राशि का कैसे बेहतर उपयोग कर सकें, संगठित होकर आजीविका को कैसे बढ़ाया जा सके उसी का प्रयास मंईयां स्वयं सहायता समूह के रूप में यहां देखने को मिल रहा है. स्कूल यूनिफॉर्म तैयार करने पर महिलाओं को निर्धारित राशि दिया जा रहा है. कुछ महिलाएं ऐसी भी है जो घर पर रहकर भी यह काम कर रही है. वह स्वयं सहायता समूह से जुड़कर प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मशीन के लिए लोन लेकर कार्य कर रही है. मंईयां सम्मान योजना से प्राप्त राशि से लोन चुकता कर अपने पैरों ओर खड़ी हो रही है. विभागीय मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने जिला प्रशासन के इस प्रयास की सराहना की.

वैसे तो सरकार की तमाम योजनाएं जनमानस को ध्यान में रख कर बनाई जाती है लेकिन कुछ योजनाएं ऐसी होती है जिसकी चर्चा हर जुबां पर होती है. उसी में एक नाम मंईयां सम्मान योजना का लिया जा सकता है.