टीएनपी डेस्क - झारखंड में विधानसभा का चुनाव हुए 6 महीने से अधिक का समय हो गया है. इस चुनाव में भाजपा को जीत की उम्मीद थी लेकिन सब कुछ गड़बड़ा गया. पार्टी ने वह गलती कि जिसकी कभी अपेक्षा नहीं की गई थी. कुछ ऐसे तत्व इस चुनाव में बीजेपी के खेमे में आ गए, उससे भाजपा की हार हो गई। यह खुलासा क्या है भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता ने.

झारखंड में हार के बारे में क्या कहा गया यह जानिए

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी चुनाव तो जीतना चाहती थी लेकिन हारे हुए मोहरों के साथ वह इस मैदान में उतरी थी. इसके अलावा पार्टी के रथ को खींचने वाला भी अलग खुमारी में जी रहा था. परिणामस्वरूप रथ और इसके सवारी दिशा भटक गए और परिणाम जीत की जगह हार में तब्दील हो गया. झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा सब कुछ करके हार गई. 2019 की तुलना में उसका प्रदर्शन और खराब हो गया. चुनाव का जिम्मा जिस व्यक्ति ने लिया वह मुद्दों को समझने में या तो विफल रहा या फिर दिग्भ्रमित हो गया. प्रदेश नेतृत्व भी चुपचाप कुर्सी के सपने देखने लगा जबकि दूसरी ओर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता हताश होते जा रहे थे. झारखंड में जिस प्रकार की स्थिति बनी,उसमें पार्टी के नेता और कार्यकर्ता चुनाव से अपने को एक तरह से अलग कर लिया. सिर्फ शरीर से खड़े रहे ऊपर के आदेश को समझते रहे और थोड़ा बहुत कुछ करके शांत पड़ गए.

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि चुनाव लड़ाने वाले जो सिपहसालार थे उन्होंने पूरी पार्टी को ही हाईजैक कर लिया था. अपने हिसाब से पार्टी के निर्णय लेने लगे. कुछ ऐसे तत्व उनके साथ जुड़ गए जो सार्वजनिक तौर पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने लगे. अव्वल तो यहां के नेता चुपचाप सब कुछ आंख खोल कर भी ना देखने की कोशिश या दिखावा करने लगे.

चलिए मुद्दे पर आते हैं विधानसभा चुनाव का जो भी परिणाम आया पार्टी ने समीक्षा बैठक बुलाई दो दिनों की समीक्षा बैठक ताबड़तोड़ हुई पर आगे कुछ नहीं हो सका. आगे इसलिए कुछ नहीं हो सका क्योंकि जिन्होंने पार्टी की नैया डुबाई उन्हें ऊपर से ऊर्जा मिल रही थी. बातें सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह गई या फिर फाइल के पन्ने ब्रह्मपुत्र की नदी में बहा दिए गए या फिर नर्मदा की धारा में छोड़ दिए गए,. 

हमने टटोलने का प्रयास किया कि आखिर भाजपा में हार की जिम्मेदारी किसकी है तो चीज कुछ भूले बिसरे रास्ते से सामने आने लगीं. झारखंड बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश से जब यह पूछा गया तो उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में चूक हुई है. पार्टी नेतृत्व से लेकर सभी प्रमुख लोग के जिम्मेदार हैं. राजनीतिक चूक हुई है. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई.इस पर कोई जवाब नहीं मिला है. दीपक प्रकाश फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. बिहार भाजपा के सह प्रभारी हैं।.

झारखंड विधानसभा चुनाव में किनके कंधे पर थी जिम्मेवारी

2024 में लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा विधानसभा चुनाव अच्छी तरह से लड़ने और जीतने की सोच के साथ दो लोगों को जिम्मा दिया. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा को सह प्रभारी बनाया गया. दोनों झारखंड आना शुरू किए लेकिन असम के मुख्यमंत्री की फ्रीक्वेंसी ज्यादा थी. उनकी बातें चलने ही नहीं लगी बल्कि उछलने लगी.  वे बड़े-बड़े निर्णय लेने लगे. कुछ ऐसे लोगों को अपने साथ रख लिया जिस कारण से लोगों में खास तौर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाने लगा. चुनाव के जो मुद्दे थे वे सामाजिक समीकरण को साधने में सफल होने लगे. इन सब कि जानकारी होने के बावजूद कोई सुधार या कोई बदलाव का प्रयास नहीं हुआ. शिवराज सिंह चौहान बहुत ही शांत तरीके से चीजों को देख रहे थे लेकिन अब कुछ सकारात्मक करने की स्थिति में नहीं थे. परिणाम यह हुआ कि भाजपा की नैया डूब गई. यह नैया वहां डूबी जहां पानी कम था. लेकिन सवाल अब उठ रहा है कि ऐसे लोगों को पार्टी ने क्या सजा दी या पार्टी नेतृत्व ने यह मान लिया कि वह भी इस गलत निर्णय के लिए जिम्मेवार है. कई प्रमुख नेता इस बात को कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी अगर चुनावी रणनीति में समय रहते गलत चीजों का विरोध करते और अपना पावर दिखाते तो शायद परिणाम इससे तो कुछ जरूर अच्छा होता. भाजपा का किस्सा अभी और आगे आना बाकी है.