Bihar: बिहार की नीतीश सरकार क्या पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है? मुखिया को और "पावरफुल" बना दिया गया है. मनरेगा के तहत मुखिया जी लोग आप 10 लाख तक की योजनाओं की स्वीकृति दे सकेंगे. पहले मुखिया को 5 लाख की ही स्वीकृति का अधिकार प्राप्त था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की कि अब मुखिया जी 10 लाख तक की योजनाओं की स्वीकृति दे सकते है. इतना ही नहीं, नीतीश सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तर के प्रतिनिधियों के महीने के भत्ते को डेढ़ गुना बढ़ाने का आदेश भी दे दिया है.
पंचायत प्रतिनिधियों को पहले केवल आकस्मिक मृत्यु होने पर ही पांच लाख का अनुग्रह अनुदान राशि मिलती थी. अब पंचायत प्रतिनिधियों को अपने कार्यकाल के दौरान सामान्य मृत्यु होने पर भी पांच लाख मिलेंगे. यदि पंचायत प्रतिनिधि बीमारी से ग्रसित होते हैं, तो उन्हें भी मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से स्वास्थ्य सुविधा दी जाएगी. पंचायत प्रतिनिधियों के शस्त्र अनुज्ञप्ति के आवेदन को जिला पदाधिकारी निर्धारित समय सीमा के अंदर नियम के अनुसार निष्पादित करने को भी कहा गया है. मतलब जो भी हो, लेकिन नीतीश सरकार अब धीरे-धीरे चुनावी मोड की ओर बढ़ रही है.
जिस तरह से पार्टियों में सीट के बंटवारे पर घमासान मचा हुआ है, उसी तर्ज पर नीतीश सरकार अब चुनाव को देखते हुए लंबित कार्यों को गति दे रही है. आज पटना में महागठबंधन की बैठक भी हो रही है. इधर, एनडीए में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा में "ताकत" की लड़ाई छिड़ी हुई है. जीतन राम मांझी बीच-बीच में गर्म तेल में फोरन डालने का काम भी कर रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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