दुमका(DUMKA): दुमका जिला के तालझारी थाना क्षेत्र से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. थाना क्षेत्र में 16 वर्षीय नाबालिग से शांदी का वादा कर यौन संबंध बनाने के मामले में पुलिस ने बीएनएस की धारा 69 और पोक्सो एक्ट की धारा 04 के तहत मामला दर्ज कर लिया है. आरोपी द्वारा पीड़िता के मांग में सिंदूर लगाने का फोटोग्राफ वायरल होने के बावजूद पुलिस ने इस मामले में बाल विवाह अधिनियम 2006 और किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धाराएं नहीं जोड़ी है और न ही बाल विवाह करवाने वालों को अभियुक्त बनाया है. केस के अनुसंधानकर्ता SI पी भगत ने 06 जून की रात पीड़िता को बरामद करने के बाद उसे फार्म-42 के तहत रातभर के संरक्षण के लिए दुमका के धधकिया स्थित बालिका गृह में रखा था. शुक्रवार को एसआई ने महिला पुलिस के माध्यम से पीड़िता को फार्म-बी और एफआईआर की छाया प्रति के साथ बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया. CWC सदस्य डा राज कुमार उपाध्याय ने बताया कि पीड़िता को यौन हमला (पोक्सो) के अलावा चाइल्ड मैरिज श्रेणी में भी सीएनसीसीपी घोषित किया गया है.

पीड़िता के माता पिता रहते है बाहर, पड़ोस में है ननिहाल

पीड़िता ने समिति को बताया है कि वह चार भाई बहनों में सबसे बड़ी है और 8वीं कक्षा में पढती है. उसके पिता यूपी के कानपुर में काम करते हैं और मां भी पिता के साथ ही रहती है. पड़ोस में ही उसका नानी घर है जहां नाना व मामा आदि रहते हैं. पिछले एक साल से इस लड़के के साथ उसका प्रेम संबंध था और इस दौरान लड़के ने उससे शादी का वादा कर दो से अधिक बार उसके ही घर पर उसके साथ शरीरिक संबंध बनाया है. जब लड़के ने शादी करने से इनकार कर दिया तो उसने उसके खिलाफ थाना में लिखित शिकायत दर्ज करवायी है.

CWC ने नियुक्त किया सपोर्ट पर्सन, बीडीओ को प्राथमिकी दर्ज करवाने का निर्देश

CWC सदस्य डा राज कुमार उपाध्याय ने बताया कि इस मामले में समिति ने ग्राम ज्योति के मुकेश कुमार दुबे को सपोर्ट पर्सन नियुक्त किया है और पीड़िता के माता- पिता, नाना, नानी एवं मामा को समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. समिति ने जरमुण्डी बीडीओ सह बाल विवाह प्रतिषेध पदाधिकारी को पत्र जारी करते हुए बाल विवाह में शामिल लड़का, दोनों पक्षों के रिश्तेदार व ग्रामीणों को चिन्हित करते हुए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा 9 एवं 10 (तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों) और किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 के तहत (दो साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों) को लेकर अलग से एक प्राथमिकी दर्ज करवाने का निर्देश भी जारी किया है. समिति ने पीड़िता को धधकिया स्थित बालगृह में आवासित करते हुए जिला बाल संरक्षण पदाधिकार से त्वरित सामाजिक जांच रिपोर्ट समर्पित करने का आदेश दिया है. समिति ने सीसीआई के अधीक्षक को पोक्सो पीड़िता को दुमका के पुराना सदर अस्पताल में स्थित मनोचिकित्सा केन्द्र में जुल्फ्किार अली भुट्टो से काउनसेलिंग करवाने का भी आदेश दिया है.