रांची(RANCHI):  झारखंड में शराब नीति में गड़बड़ी कर सरकार को करोड़ों का राजस्व का नुकसान हुआ. इस घोटाले में ACB का एक्शन देखने को मिल रहा है. लेकिन आखिर क्या अधिकारी इतने बड़े घोटाले को अंजाम दे सकते है. या इसके पीछे किसी और सफेदपोश का हाथ है. आखिर दो आईएएस अधिकारी की गिरफ़्तारी के बाद सवाल यह भी सामने आया है कि अब अगला टारगेट कौन है. ACB की कार्रवाई से घोटाले के समय जितने भी अधिकारी पद में थे या पीछे से सपोर्ट कर रहे थे.तो चलिए जानते है कि घोटाला कैसे हुआ. इसके कितने किरदार है. आखिर जांच का दायरा कहाँ तक जाने वाला है.

सबसे पहले बात करें शराब नीति की तो छत्तीसगढ़ मॉडल पर शराब नीति झारखंड में लागू की गई. इस नीति में कई गड़बड़ी थी. अधिकारियों को जानकारी थी की इससे राजस्व को बड़ा नुकसान होगा. लेकिन सभी इस खेल में शामिल हुए. छत्तीसगढ़ की एक कंसल्टेंसीन से परामर्श लिया गया. इसमें दावा किया गया था की इनके बताए हुए तरीके से शराब की बिक्री की जाएगी तो बड़ा मुनाफा होगा. इस कंसल्टेंसी को झारखंड में उत्पाद भवन में एक कार्यालय भी मुहैया कराया गया.

सब नीति बनी और टेंडर की प्रक्रिया में बदलाव किया गया. इस नीति के तहत छोटे शराब कारोबारी को पूरे शराब की बिक्री से ही बाहर कर दिया गया. टेंडर में 100 करोड़ के टर्न ओवर वाले कंपनी को ही टेंडर में हिस्सा लेने दिया गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि छोटे झारखंड के शराब कारोबारी बाहर चले गए और बड़े और बाहर के कारोबारी का बाजार में कब्जा हो गया. सबसे बड़ी बात की टेंडर के बाद जो बैंक गारंटी जमा की गई वह भी फर्जी थी साथ ही कई दस्तावेज नकली थे. लेकिन इन सब को नजर अंदाज कर इस खेल को खेला गया.

अब जन टेंडर पूरा हुआ बाहर के कारोबारी का कब्जा हो गया तब बड़ा घोटाले का खेल हुआ. एक विशेष कंपनी की शराब ही शराब दुकान में मिलने लगी.झारखंड सरकार का नकली होलोग्राम चिपकाया और फिर बिक्री शुरू कर दी गई. शराब की बिक्री खूब हुई लेकिन इस शराब का पैसा अधिकतर सिंडीकेट के जेब में गया. ऐसा कोई एक दो महीना नहीं बल्कि दो साल तक चला. आखिर में जब नुकसान बड़ा हुआ तब इस नीति को बदला गया.

लेकिन तब तक इसमें करोड़ों का खेल हो गया था. ऐसे में इसकी जांच की शुरुआत छत्तीसगढ़ से पहले झारखंड तक पहुंची. छत्तीसगढ़ में भी जिस नीति को लागू किया गया था वहाँ करीब 2 हजार करोड़ का नुकसान हुआ. जिसकी जांच शुरुआत में छत्तीसगढ़ की EOU  ने शुरू किया. छत्तीसगढ़ में कई गिरफ़्तारी हुई लेकिन बाद में इसकी जांच झारखंड तक पहुंची और विनय चौबे से छत्तीसगढ़ में पूछताछ भी हो चुकी है. ईडी ने भी शराब घोटाले में विनय चौबे के ठिकानों पर रेड किया था. बाद में पूछताछ के लिए भी समन भेज कर बुलाया था. आखिर में इस मामले में ACB  ने केस दर्ज किया और झारखंड में जांच शुरू कर दिया.

इस जांच में सबसे पहले आईएएस अधिकारी विनय चौबे को गिरफ्तार कर लिया गया इसके बाद फिर उत्पात आयुक्त समेत कई लोग सलाखों के पीछे पहुँच गए. लेकिन इस बीच एक और गिरफ़्तारी हुई पूर्व उत्पात आयुक्त अमित प्रकाश की. ACB को शक है कि सभी ने मिल कर जान बुझ कर झारखंड सरकार को नुकसान पहुंचाया है. हालांकि ACB 38 करोड़ के घोटाले का दावा कर रही है.

 ऐसे में सवाल यह भी उठने लगा है कि आखिर क्या अधिकारियों के दम पर इतना बड़ा घोटाला हो सकता है. इसके पीछे और कितने किरदार है. इसका खुलासा भी हो सकता है. क्योंकि ACB के साथ साथ ईडी इस मामले में जांच कर रही है. जिसमें बड़े चेहरे भी बेनकाब हो सकते है. छत्तीसगढ़ के जैसा राजनीतिक रसूख वालों पर भी गाज गिर सकती है.                                

शराब घोटाले पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर सवाल उठाया है. इस पूरे घोटाले की आंच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक जाने की बात बात बार बार बोल रहे है. साथ ही झारखंड में हुए शराब घोटाले को दिल्ली और छत्तीसगढ़ से बड़ा घोटाला बता रही है. इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने को लेकर भी सीएम से ही मांग कर दिया है.