टीएनपी डेस्क (Tnp Desk):- अभी बिटकाइन के निवेश में निवेशकों को जो दौलत दी , उससे कोई यकीन नहीं कर सकता कि महज चंद रुपयों में ही लोग करोड़पति बन जायेंगे. क्रिप्टो करंसी का यह रुप ही आज इतना तहलका मचा दिया है कि सभी लोग इसमे एक दौड़ लगाए हुए कि बेशुमार पैसा बन जाए. नतीजा ये है कि आज लोग लालच के चक्कर में अपना पैसा भी फर्जीवाड़े में गंवा रहे हैं.
क्रिप्टों करेंसी का बढ़ता क्रेज
डिजिटल करंसी के खरीद-बेच को लेकर अभी भी निवेशकों में आकर्षण बना हुआ है . लोग धड़ल्लें से इसमे अपना निवेश कर रहे हैं औऱ ट्रेडिंग भी कर रहें हैं. जहां तक भारत की बात है तो क्रिप्टो करेंसी को कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं दी गई है. लेकिन इस पर पूरी तरह पाबंदी भी नहीं लगाया गया है. मौजूदा समय में देश में क्रिप्टो निवेश पर 30 प्रतिशत कर और एक प्रतिशत टीडीएस का प्रावधान है. इसके बाद ही इसे कोई योग्य संपत्ति या वाइट मनी घोषित कर सकते हैं.
अगर थोड़ पीछे क्रिप्टो करंसी के बारे में जाने तो साल 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग व्यवस्था को संभावित जोखिमों से बचाने के लिए बैंकों को क्रिप्टो लेन-देन करने से रोक लगा दिया था. लेकिन साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया. अभी इसी महीने सरकार क्रिप्टो नीति पर चर्चा करने के लिए एक पत्र जारी करने की तैयारी में है. इसमें वित्तीय नियामक संस्थाएं, उद्योग प्रतिनिधि और आम जनता की राय शामिल होगी. इस नीति का मकसद क्रिप्टो करेंसी को कानूनी रूप से एक सही ढांचे में लाना है.
भारत में क्रिप्टो करेंसी की मान्यता नहीं
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. देश डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ रहा है. क्रिप्टो करेंसी की भूमिका इसमे अहम हो सकती है. सबसे चौकाने वाली बात ये है कि देश में क्रिप्टों करंसी को कानूनी मान्यता नही दी गई है. इसके बावजूद भारत में 9 करोड़ 30 लाख क्रिप्टो मालिक हैं, जो कुल जनसंख्या का 6.55 प्रतिशत है. इतना ही नहीं ये चीन के 5 करोड़ 90 लाख और अमरीका के 5 करोड़ 30 लाख की तुलना में अधिक है. सोचिए अभी ये हालत देश में है कि बिना नियम बने हम क्रिप्टो करेंसी लेन-देन में पूरी दुनिया में सर्वाधिक हैं.
संयुक्त अरब अमीरात में 30.4 प्रतिशत जनसंख्या क्रिप्टो से जुड़ी हई है. यानि जनसंख्या के प्रतिशत के हिसाब से देखे तो यूएई वालों को क्रिप्टो खूब भा रहा है. क्रिप्टो करेंसी भारत के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि यह यहां अन्य देशों की तुलना में काफी लोकप्रिए है. हालांकि, इस राह में कई चुनौतियां भी खड़ी हैं. सबसे ज्यादा परेशानी इसमे वॉलेटलिटी को लेकर होती है. क्योंकि कभी इसकी कीमते आसमान छूने लगती है, तो कभी इसमे भारी गिरवाट का सामने निवेशकों को करना पड़ता है. इस आशंका और अनिश्चिता के चलते इसमे एक जोखिम पैदा हो जाती है. ये तो क्रिप्टो करंसी का स्वभाव है. लेकिन, दूसरी तरफ क्रिप्टो से जुड़े घोटाले, धोखाधड़ी और गड़बड़ी भी बढ़ रहे हैं. जिसके चलते लोग अपनी मेहनत की कमाई भी गंवा रहें हैं.
क्या होगा भारत में भविष्य ?
देश में देखा गया है कि कई लोग क्रिप्टो निवेश के नाम पर फर्जी योजनाएं चलाकर लोगो का पैसा लूट रहे हैं. सरकार को इसे अपने कंट्रोल में करने के लिए कड़े नियम बनाने होंगे. क्योंकि क्रिप्टो मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियों में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है. क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य आगे क्या होगा, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी, क्योकि इसमे अनिश्चिता तो है. समय के साथ इसमे भी ठहराव आयेगी और फिर सब पटरी पर आने से भविष्य भी बढ़िया दिखलाई पड़ेगा.
सरकार की जून 2025 में चर्चा पत्र जारी करने की योजना एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा सकता है. हालांकि, हम इसे वैधानिक तरीके से नियंत्रित करके सही नीतियां बनानी होगी. इससे आम निवेशकों के लिए बेहतर होगा और उनके मन में जो अभी डर औऱ आशंका है. वो भी खत्म होगी. सरकार का रवैया अभी तक सजग रहा है औऱ क्रिप्टो नीति पर चर्चा पत्र से भारत इस दिशा में एक कदम आगे ब़ढ़ायेगा.
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