रांची(RANCHI): झारखंड में पहले प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल को लेकर सिर्फ आशंकाएं जताई जाती थीं, लेकिन अब ये चीजें खुलेआम देखने को मिल रही हैं. हम बात कर रहे हैं हाल ही में हुई रेलवे भर्ती बोर्ड यानी आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा की, जहां परीक्षा के स्तर को समझना मुश्किल है. पहले परीक्षा के बाद हंगामे की खबरें आती थीं, लेकिन अब परीक्षा के दौरान ही ऐसे नजारे देखने को मिल रहे हैं. मामला यह है कि रांची के तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र स्थित ION DIGITAL ZONE के परीक्षा केंद्र पर रेलवे भर्ती बोर्ड NTPC की परीक्षा चल रही थी, लेकिन जिस कंप्यूटर पर छात्र परीक्षा दे रहे थे, वह अचानक बंद हो गया.

कंप्यूटर के अचानक बंद होने पर अभ्यर्थियों ने मदद के लिए तकनीकी टीम को बुलाया, लेकिन उनकी मदद के लिए परीक्षा केंद्र पर कोई मौजूद नहीं था. यहां तक ​​कि छात्रों की मदद के लिए कोई निरीक्षक भी मौजूद नहीं था. इस दौरान अभ्यर्थियों ने यह भी देखा कि एक तरफ कुछ छात्रों के कंप्यूटर अचानक बंद हो गए थे, वहीं कुछ छात्रों के कंप्यूटर सुचारू रूप से चल रहे थे, और वे परीक्षा भी दे रहे थे. ऐसे में स्थिति तब और बिगड़ गई जब अन्य छात्रों ने देखा कि परीक्षा दे रहे छात्रों को कोई दूसरा व्यक्ति प्रश्नों के उत्तर बता रहा है. ऐसे में परीक्षा केंद्र में खुलेआम नकल का खेल चल रहा था.

उन्होंने इस पूरी घटना का विरोध किया और परीक्षा रद्द करने की मांग की. ऐसे में छात्रों के गुस्से को देखते हुए परीक्षा केंद्र की दीवार पर एक नोटिस चिपका दिया गया, जिसमें कहा गया कि जिन परीक्षार्थियों के कंप्यूटर बंद हो गए थे, उनके लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की जाएगी. इस पर छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया. छात्रों का कहना था कि जब केंद्र में नकल का मामला सामने आया है तो सभी परीक्षार्थियों की दोबारा परीक्षा होनी चाहिए. इस मामले को लेकर हंगामा भी हुआ और छात्रों ने इसके खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया.

ऐसे में JSSC, JPSC, JAC बोर्ड परीक्षा और अब RRB परीक्षा भी बेदाग नहीं रह गई है. लेकिन अब इस पूरे मामले पर सवाल उठता है कि परीक्षा केंद्र के अंदर फोन ले जाने की इजाजत कैसे दी गई. साथ ही परीक्षा के दौरान कोई निरिक्षक कैसे मौजूद नहीं था और अगर कोई निरिक्षक मौजूद नहीं था तो पहले किसी छात्र ने आपत्ति क्यों नहीं जताई, ये भी सोचने वाली बात है. साथ ही इस दौरान किसी को नकल की भनक तक नहीं लगी. अब अगर राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में इस तरह का बुरा हाल देखने को मिलेगा तो कितने युवाओं को सही मायने में रोजगार मिल पाएगा.

अब अगर गौर से देखा जाए तो एक प्रतियोगी परीक्षा के लिए कितने लोग एक छात्र पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में राज्य में कभी परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित हो पाएगी या नहीं ये भी सोचने वाली बात है. लेकिन अगर झारखंड में यही स्थिति रही तो ये कहना गलत नहीं होगा कि अब राज्य में लोग प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद शायद छोड़ देंगे.