रांची(RANCHI): झारखण्ड में DGP को लेकर फिर से बवाल मच गया है.भाजपा ने सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया है. आखिर किस तरह से झारखण्ड में संवैधानिक संस्था और संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है.आखिर किसे इशारे पर पूरा खेल चल रहा है.नेता प्रतिपक्ष ने तो यहाँ तक कह डाला कि बेलगाम अफसर अब संविधान से नहीं, सत्ता के साथ ‘नेटवर्क’ से चलते है
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि डीजीपी अनुराग गुप्ता अब न अखिल भारतीय सेवा में हैं, ना सस्पेंड हो सकते हैं, ना उनपर कोई विभागीय कार्रवाई लागू होती है,
ना तो उन्हें वेतन मिल रहा है कि मुख्यमंत्री उनका वेतन रोक सकते हैं. आज झारखंड की पुलिस व्यवस्था शैडो डीजीपी के हाथों में है. झारखंड इतिहास रच रहा है.
कहा कि पुलिस विभाग के सारे तुगलकी आदेश वही दे रहे हैं. सिपाहियों तक की ट्रांसफ़र-पोस्टिंग पैसे ले-देकर हो रही है? पता कर लीजिये. कोई नहीं बताये तो हमें कॉल करियेगा, विस्तार से सब बता देंगे.
कहा कि 10 जून को 8 आईपीएस अधिकारियों को डीजीपी पद पर बैठे असंवैधानिक व्यक्ति ने असंवैधानिक तरीक़े से अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया तो इसमें हैरान होने वाली क्या बात है?बिना UPSC की सूची में नाम वाले व्यक्ति ने बिना मुख्यमंत्री की स्वीकृति, और बिना किसी विधिक अधिकार के ये सब कर दिया तो क्या बुरा किया?
कहा कि सुनने में आया है कि अब गृह विभाग ने उसे रद्द कर “स्पष्टीकरण” मांगा है.परंतु स्पष्टीकरण किससे मांग रहे हैं? उस व्यक्ति से जिसे आप नियमों के दायरे में ला ही नहीं सकते? जब वे अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी रहे ही नहीं तो ज़ाहिर है वो अखिल भारतीय सेवा के नियम को क्यों मानेंगे? ये बात कैसे समझ में नहीं आ रही मुख्यमंत्री जी को? उनकी चुप्पी और बेबसी क्या दर्शाती है? उन्होंने कहा या तो मुख्यमंत्री को पता नहीं, या वे पूरी तरह अयोग्य हैं. या फिर उनको सब पता है कि इस हालात के लिये वे स्वयं दोषी हैं. यह कौन नहीं जानता है कि झारखंड के कुछ बेलगाम अफसर अब संविधान से नहीं, सत्ता के साथ ‘नेटवर्क’ से चलते है.
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