धनबाद(DHANBAD):  साल -दर-  साल बीत गए, व्यवस्थाएं बदलती रही.  घोषणाएं होती रही, लेकिन धनबाद को जीरो कट बिजली कभी नहीं मिली.  पिछली गर्मी में भी नहीं मिली थी, उसके पहले भी नहीं मिली थी.  2025 में भी नहीं मिल रही है .  स्थिति यह है कि लोगों को 24 घंटे में मात्र 8 से 10 घंटे बिजली मिल रही है.  गर्मी उफान पर है, लेकिन बिजली कटौती जारी है.  कभी तकनीकी खराबी के बहाने तो कभी डीवीसी  में गड़बड़ी के कारण बिजली संकट बता दिया जाता है.  कभी डीवीसी मेंटेनेंस करता है तो कभी बिजली वितरण निगम मेंटेनेंस करता है.  नतीजा होता है कि लोग इस गर्मी में त्राहि त्राहि  करते है.  धनबाद की बिजली वितरण निगम को भी जरूरत के हिसाब से बिजली नहीं मिल रही है.  

जरुरत से कम बिजली दे रहा डीवीसी 

अधिकारियों की माने तो 150 से 170 मेगावाट बिजली मिल रही है, जबकि 225  मेगावाट से अधिक बिजली की जरूरत है.  इधर, यह भी जानकारी है कि दामोदर वैली कारपोरेशन के चंद्रपुरा  प्लांट की एक यूनिट में तकनीकी खराबी के कारण प्रोडक्शन में आई गिरावट का खामियाजा धनबाद भुगत रहा है.  बिजली विभाग के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि लगातार 13 दिनों से धनबाद में डीवीसी जरूरत से कम बिजली की आपूर्ति कर रहा है.  सुबह होते ही डीवीसी द्वारा रिस्ट्रिक्टेड पावर सप्लाई शुरू कर दी जा रही है.  इसके अलावा अलग-अलग समय पर विभिन्न सब स्टेशनो  में घंटों  लोडशेडिंग  भी हो रही है.  यह  क्रम लगातार जारी है.  इधर, गर्मी उफान पर है, बिजली विभाग के अधिकारी लगातार कह रहे कि  सिस्टम को ठीक कर दिया गया है.  कई वैकल्पिक लाइनों से सिस्टम को जोड़ दिया गया है.  अब धनबाद में बिजली संकट नहीं होगा.  

बिजली संकट : जैसे जैसे दवा की ,मर्ज बढ़ाता ही गया 

लेकिन जैसे-जैसे "दवा की, मर्ज बढ़ता गया" की तर्ज पर बिजली कटौती बढ़ती जा रही है. लो वोल्टेज की अलग ही समस्या है.  एक तो 24 घंटे में 8 से 10 घंटे बिजली मिलती है.  उसमें भी लो वोल्टेज की समस्या इतनी अधिक है कि बिजली के उपकरण काम नहीं करते.  आखिर इस गर्मी में धनबाद को जीरो कट बिजली कैसे मिलेगी, यह   अपने आप में बड़ा सवाल है.  बात-बात पर बयान जारी करने वाले "पेपर टाइगर" भी चुप है.  चुनाव के पहले बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने वाले नेता भी जनता की इस समस्या से  मुंह मोड़े हुए है.  कारोबारी अलग परेशान है ,डोमेस्टिक कंज्यूमर अलग परेशान है, घर की व्यवस्था बाधित बिजली आपूर्ति के कारण बिगड़ गई  है.  लोग आखिर करें भी तो क्या करें??

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो