रांची(RANCHI): झारखंड में बालू की किल्लत को दूर करने के लिए सरकार ने घाट की नीलामी करने का फैसला लिया. लेकिन पेसा कानून के बिना यह अधर में लटक सा गया. अब इस बालू घाट की नीलामी प्रक्रिया की नीति पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाया है. बाबूलाल मरांडी ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता कर सरकार की निति पर जमकर निशाना साधा है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह सरकार कहती है की अबुआ सरकार है और बार-बार कहती है कि स्थानीय लोगों को रोजगार में अवसर दे रहे है. लेकिन सरकार अपने वादे को एक प्रतिशत भी पूरा नहीं कर रही. उन्होंने कहा कि CM हेमंत सोरेन ने कहा था 25% ठेका पट्टा स्थानीय नौजवानों को मिलेगा. लेकिन सरकार ऐसा नियम कानून बनाती है कि गरीब नौजवान उसमें हिस्सा ही ना ले सके. इनकी कहनी और करनी में अंतर साफ़ अब दिखने लगा है.
हाई कोर्ट ने बालू घाटों की नीलामी पर रोक लगाई क्योंकि पेसा कानून लागू ही नही हुआ है. लेकिन सरकार किसी को कुछ देना नही चाहती है. वह सब कुछ अपने पास रखना चाहती है ताकि वह मोटी कमाई कर सके...यह सरकार माफिया और बड़े-बड़े लोगों के लिए नीतियां बनती है.
इस सरकार ने जिले में बालू घाटों ग्रुप बनाया है. इसमें इन्होंने खेल किया है और इन्होंने शर्तें ऐसी लगाई है कि जिसका सालाना 15 करोड रुपए का टर्न आउट हो वही इसमें हिस्सा ले सकेगा. बाबूलाल मरांडी ने पूछा आप बताइये इतना टर्नओवर किस गरीब नौजवान का होगा. इन नियमों को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि यह नियम सरकार नहीं बनाती बल्कि उन क्षेत्रों में काम करने वाले माफिया बना कर देते हैं और सचिव,पदाधिकारी साइन करते हैं.
उन्होंने कहा कि हमने पहले बोला था कि स्थानीय युवाओं को बालू घाट सौंपा जाए. पूरी तरीके से झारखंड के बालू घाटों को माफिया के हवाले करके कैसे लूटा जाए यह काम चल रहा है. पूरी तरीके से लूट की साजिश रची जा रही है इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि बालू घाटों को स्थानीय युवाओं को दिया जाए क्योंकि अधिकार ग्राम सभा का है.
सरकार सतर्क हो जाए नहीं तो आने वाले दिनों में कई अधिकारी जेल जाएंगे. यह सरकार हर समय गरीबों की सरकार अपने आप को बताती है. लेकिन सरकार नीति नियम सिर्फ माफियाओं के लिए बनाया गया है स्थानीय युवक आदिवासी युवक गायब हो जाते हैं. इसलिए हेमंत सोरेन से कह रहे हैं कि वह युवाओं को आगे लाए नहीं तो फिर से होटवार जाना पड़ सकता है.
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