रांची(RANCHI) - राज्य में सफल पंचायत सचिव अभ्यर्थियों के द्वारा पिछले 7 दिनों से राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन जारी है.पांच हज़ार अभ्यर्थियों को मेधा सूचि का इंतज़ार है.अंतिम प्रक्रिया पूरी करने में एक स्टेप ही बची हुई है.सभी जिलों से महिला अभ्यर्थी और उनके परिजन भी अब शामिल हो रहे हैं.महिला अभ्यर्थियों ने  सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है तो अब अपने बच्चों को और खुद भी जहर खाकर यहीं जान दे दूंगी. प्रतिदिन महिलाएं पलामू और गढ़वा जिले से बस में यात्रा करके अपनी हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए धरना प्रदर्शन में शामिल होती हैं.रात को सिलाई का काम करती हैं और उसी पैसे से बस का किराया देती हैं.बस वाले के सवालों का भी सामना करना पड़ता है,कि रोज रात को लौटती हैं अहले सुबह रांची क्यों जाती है.हालांकि महिला अभ्यर्थी इन बातों को करते हुए भावुक हो जाती हैं.कई महिलाएं अपनी आपबीती को सुनाते हुए कहती हैं कि शादी से पूर्व फॉर्म भरा था अब शादी भी हो गयी पर नियुक्ति नहीं मिली हैं.घरवालों से ज्यादा समाज की उलाहनाओं को सहना पड़ता है.सभी कहते हैं कि पढ़ लिखकर पैसा बर्बाद कर दिया.अब हमारी उम्र सीमा भी निकल रही है.

बेरोजगार लड़कों से शादी भी नहीं करता है कोई

कई अभ्यर्थियों के पिता भी धरना में शामिल होने लगे हैं.उनका कहना है कि हमारे बच्चे पलायन कर चुके हैं.सरकारी नौकरी के इंतज़ार में उनकी शादी का उम्र भी समाप्त हो रहा हैं.अभी पंजाब के निजी कम्पनी में कार्यरत बच्चे रोज कम्पनी बदलते हैं.अब उनको समाज के लोग लफुआ कहते हैं.कोई भी पिता अपनी बेटी का हाथ बेरोजगार लड़कों से शादी भी नहीं करता है.ये लड़के खुद खाना नहीं खा सकते तो हमारी बेटी को क्या खिलाएंगे उक्त बातें अभ्यर्थी के पिता ने साझा की है.हमारा बच्चा घर में एक सब्जी नहीं खाता था अब पंजाब में रहकर कुछ भी खाने को मजबूर है.यह बातें करते हुए पिता बार-बार भावुक हो जा रहे थे.

अब हमलोग भी होंगे उग्र 

कई अभ्यर्थियों ने सरकार से संथाली भाषा में भी अपनी बातों को रखते हुए कहा है कि सरकार को हमारी भाषा शांति में समझ नहीं आ रही है अब बिहार के तर्ज पर हमलोग भी उग्र होंगे तभी सरकार हमारी बातों को सुनेगी.सभी मंत्री और विधायक से हमलोग वार्तालाप करके थक चुके हैं.सिर्फ आश्वासन ही हमें मिलता हैं.पांच वर्षों से अपनी हक़ की लड़ाई को लड़ते हुए हमलोग भी थक चुके हैं.


रिपोर्ट :रंजना कुमारी (रांची ब्यूरो )