दुमका(DUMKA)-हाल ही में एक करोड़ 42 लाख रुपैया सरकारी राशि के गबन मामले में दुमका का ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग चर्चा में आया था.  मामले का अभी पूरी तरह खुलासा भी नहीं हो पाया है कि एक बार फिर ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल चर्चा में आ गया है. 

दरअसल सोमवार की रात विशेष प्रमंडल के पत्राचार लिपिक दीप कुमार श्रीवास्तव की निर्मम हत्या कर दी गई. आज मंगलवार की सुबह दीप का शव डंगालपाडा शिव मंदिर रोड में सड़क किनारे पड़ा मिला. स्थानीय लोगों की सूचना पर नगर थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लिया. सूचना मिलते ही ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता उदय सिंह भी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि 2 वर्ष पूर्व दीप का योगदान दुमका में हुआ था. वह मूल रूप से रांची के रहने वाले थे. उन्होंने बताया कि कल शाम 6:00 बजे तक दीप कार्यालय में ही था क्योंकि एक जेई की सेवानिवृत्ति पर विदाई समारोह का आयोजन कार्यालय में किया गया था.  उसके बाद वह घर के लिए निकला था. 

वही नगर थाना प्रभारी देवव्रत पोद्दार ने कहा कि पुलिस तमाम बिंदुओं पर अनुसंधान कर रही है. हम आपको बता दें कि कुछ माह पूर्व ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल दुमका में एक करोड़ 42 लाख रुपैया सरकारी राशि के गबन का मामला सुर्खियों में आया था. पुल निर्माण करने वाली कंपनी एबीसी कंस्ट्रक्शन के खाते में जाने वाला एक करोड़ 42 लाख रुपया हरियाणा के जीके इंटरप्राइजेज के खाते में पहुंच गया. इसको लेकर विभाग द्वारा नगर थाना में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई और इस मामले में अभी तक विभाग के रोकड़ पाल और कंप्यूटर ऑपरेटर सहित राजेश कुमार नामक व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है. दरअसल रुपैया राजेश कुमार के खाता में ही गया था जहां से तमाम राशि की निकासी कर अन्य खातों में भेज दी गई. गिरफ्तारी के बाद राजेश कुमार ने पुलिस को बताया था कि वह महज 10% कमीशन पर तमाम रुपैया अपने खाते में मंगवाया था. इस मामले में जो दो तीन अन्य लोगों के नाम सामने आया है जिसे मास्टरमाइंड मानकर पुलिस अनुसंधान कर रही है. 

उसकी तलाश अभी भी जारी है. दीप उसी विभाग में कार्य करता था. वैसे कार्यपालक अभियंता ने गबन मामले को लेकर हत्या की आशंका से इनकार किया है.  उन्होंने कहा कि यह पत्राचार लिपिक के पद पर कार्यरत था और उस मामले में अभी तक इसकी किसी भी प्रकार की संलिप्तता सामने नहीं आई थी. 
हत्या के बाद जब हत्या को लेकर सवाल उठने लगे हैं तो पुलिस को भी अपने अनुसंधान का दायरा बढ़ाना चाहिए ताकि गबन मामले में हत्या की जो आशंका जताई जा रही है वह स्पष्ट हो सके.