गिरिडीह(GIRIDIH): नक्सलियों को गिरफ्तार करने में गिरिडीह पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है. गिरिडीह पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर दो माओवादियों को जिले के अलग अलग थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया हैं.  मधुबन के बाजार और खुखरा के हरलाडीह जंगल से दोनों नक्सलियों को  गिरफ्तार किया गया हैं. पूर्व में गिरिडीह में पुल और मोबाइल टॉवर उड़ाने में थे दोनों शामिल थे. गिरफ्तार माओवादियों में पंकज महतो और इतवारी किस्कू शामिल है.  पंकज महतो पीरटांड़ थाना के मटकुरिया गांव का रहने वाला है,वहीं इतवारी किस्कू डुमरी के कुबरी गांव का निवासी है .  

बुधवार को पुलिस ने पंकज महतो के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं रहने का हवाला देते हुए फिलहाल पूछताछ कर रही है. जबकि इतवारी किस्कू को जेल भेज दिया गया.  हालाकि पुलिस ने इन नक्सलियों के पास से कोई हथियार बरामद नहीं किया है.   लेकिन पुलिस का दावा है कि इन दोनो नक्सलियों ने पीरटांड़ के कृष्णा हांसदा दस्ते के सदस्यों के साथ नक्सली बंदी और प्रतिरोध दिवस के दौरान गिरिडीह के मधुबन के जयनगर और खुखरा थाना इलाके में दो मोबाइल टावर को उड़ाने में शामिल था.  जिले के सरिया के चिचाकी रेलवे स्टेशन के समीप रेल ट्रैक को भी उड़ाने में इन दोनों की भूमिका रही है.  इतना ही नहीं इन गिरफ्तार नक्सलियों का हाथ डुमरी थाना के नुरंगो पुल उड़ाने में भी सामने आ रहा है.  पुलिस का ये भी दावा है की गणतंत्र दिवस के दिन इतवारी किस्कू ने ही डुमरी के पंचायत भवन में काला झंडा फहराया था.  

वैसे गौर करने वाली बात ये भी है कि कुछ दिनों पहले ही पुलिस ने पुल और मोबाइल टावर उड़ाने के लिए नक्सलियों को विस्फोटक आपूर्ति करने के आरोप में जमुई के मुस्तफा और नक्सली कटी मांझी के बेटे गिरिडीह के दांडीडीह के रहने वाले समेत तीन आरोपियों को जेल भेजा था.  वहीं अब इन घटनाओं को अंजाम देने वाले दो नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया.  लेकिन इतवारी किस्कू को जहां एक तरफ जेल भेज दिया.  वहीं  पंकज महतो के खिलाफ कोई सबूत नहीं रहने के कारण अब भी पूछताछ के लिए रखे हुए है.  

जबकि पुलिस सूत्रों का दावा है कि गिरफ्तारी के बाद दोनों नक्सलियों ने पूछताछ में कई राज उगले है.  जिसमें इतवारी ने कृष्णा हांसदा दस्ते के सदस्यों के साथ पुल, टावर उड़ाने का राज उगला. जिसमे इतवारी ने इसी पंकज का नाम भी सामने लाया.  पूछताछ में पंकज ने भी कबूला है कि पीरटांड़ और मधुबन इलाके में करोड़ों के लागत से चल रहे योजनाओं के ठेकेदारों से लेवी लेकर कृष्णा हांसदा और उसके दस्ते तक लेवी के पैसे पहुंचाता था. इस कबूलनामे के बाद भी पुलिस इस नक्सली पंकज को अब भी सिर्फ पूछताछ के लिए रखे हुए है.