टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया है. CBI द्वारा पेश किए गए गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर राजद सुप्रीमो दोषी पाए गए. चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सहित 99 अभियुक्तों पर आज सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया जिसमें 24 को छोड़ लालू यादव समेत बाकी सभी अभियुक्त दोषी करार दिए गए. जिन्हे बरी किया गया उनमें राजेंद्र पांडेय, साकेत बिहारी लाल, दीनानाथ सहाय, राम सेवक, ऐनल हक़,सनाउल हक़, मो हुसैन, कलशमनी कश्यप,बलदेव साहू,रंजित सिन्हा,अनिल सिन्हा,अनिता प्रसाद आदि शामिल है. बता दें कि इससे पहले लालू को चार अन्य मामले में दोषी करार दिया जा चुका है. राजद सुप्रीमो 6 बार जेल भी जा चुके हैं. दुमका ट्रेजरी मामले में इन दिनों जमानत पर बाहर हैं.

डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी

डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी हुई थी. मामले की शुरुआत में 170 आरोपी थे जिनमें से 55 आरोपी की मौत हो गई है. अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से बुना गया गबन यह ताना-बाना नब्बे के शुरुआती दशक में देश में खासा चर्चित हुआ. 400 सांड को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और बाइक पर ढोकर रांची पहुंचाने की बात कागजों पर दिखी ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों की उपलब्धता हो सके. पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान  2,35,250 रुपए में 50 सांड, 14,04825 रुपए में 163 सांड और बछिया खरीदी. क्रॉस ब्रिड बछिया और भैंस के लिए 84 लाख,93 हजार, 900 रुपए का भुगतान किया था. इसी तरह भेड़ और बकरी की खरीदारी पर भी लाखों रुपए खर्च किए. खास बात यह रही कि  पशुओं और पशुचारा, भूसा, पुआल आदि लाने के लिए भी जिन वाहनों को दर्शाया वे जांच के दौरान स्कूटर, बाइक, मोपेड के नंबर निकले. जांच के दौरान सीबीआई ने कहा था कि यह सामान्य आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं, गहरा षड्यंत्र है जिसमें सूबे के कर्मचारी, नेता, व्यापारी सबकी भागीदारी रही. बिहार के दो पूर्व सीएम की गिरफ्तारी इस मामले में हुई. लालू यादव के अलावा जगन्नाथ मिश्र भी मामले में गिरफ्तार हुए थे.