टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : चारा घोटाला के मामले में लालू यादव समेत 75 अभियुक्तों को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है.अदालत ने दोषी करार अभियुक्तों को जेल भेज दिया है. सजा का एलान 21 फरवरी को होगा.
उम्र को देखते हुए सजा सुनाने का अनुरोध
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने कोर्ट से अभियुक्तों को कठोर से कठोर सजा देने की मांग की. विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि इनके खिलाफ पर्याप्त एवं ठोस साक्ष्य मिले हैं. उधर बचाव पक्ष ने उम्र को ध्यान रखते हुए फैसला सुनाने का अनुरोध किया. कहा कि मेरे मुवक्किलों के खिलाफ कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है. बता दें कि इससे पहले लालू को चार अन्य मामले में दोषी करार दिया जा चुका है. राजद सुप्रीमो 6 बार जेल भी जा चुके हैं. दुमका ट्रेजरी मामले में इन दिनों जमानत पर बाहर थे.
ये हुए बरी
बता दें कि मामले में 24 लोगों को बरी किया गया है. इनमें राजेंद्र पांडेय, साकेत बिहारी लाल, दीनानाथ सहाय, राम सेवक, ऐनल हक़,सनाउल हक़, मो हुसैन, कलशमनी कश्यप,बलदेव साहू,रंजित सिन्हा,अनिल सिन्हा,अनिता प्रसाद,रमावतार शर्मा,चंचल सिन्हा,रामशंकर सिंह, बसंत सिन्हा,क्रांति सिंह, मधु मेहता शामिल हैं.
आज शाम तक पहुंचने का फरमान
कई अभियुक्त मंगलवार को कोर्ट पहुंचे ही नहीं. कोर्ट ने इसपर कहा है कि इन अनुपस्थित आरोपियों को किसी भी सूरत में आज शाम तक कोर्ट पहुंचना ही होगा.
जब मोपेड पर ढोए गए सांड-भैंस !
डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी हुई थी. मामले की शुरुआत में 170 आरोपी थे जिनमें से 55 आरोपी की मौत हो गई है. अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से बुना गया गबन यह ताना-बाना नब्बे के शुरुआती दशक में देश में खासा चर्चित हुआ. 400 सांड को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और बाइक पर ढोकर रांची पहुंचाने की बात कागजों पर दिखी ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों की उपलब्धता हो सके. पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35,250 रुपए में 50 सांड, 14,04825 रुपए में 163 सांड और बछिया खरीदी. क्रॉस ब्रिड बछिया और भैंस के लिए 84 लाख,93 हजार, 900 रुपए का भुगतान किया था. इसी तरह भेड़ और बकरी की खरीदारी पर भी लाखों रुपए खर्च किए. खास बात यह रही कि पशुओं और पशुचारा, भूसा, पुआल आदि लाने के लिए भी जिन वाहनों को दर्शाया वे जांच के दौरान स्कूटर, बाइक, मोपेड के नंबर निकले. जांच के दौरान सीबीआई ने कहा था कि यह सामान्य आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं, गहरा षड्यंत्र है जिसमें सूबे के कर्मचारी, नेता, व्यापारी सबकी भागीदारी रही. बिहार के दो पूर्व सीएम की गिरफ्तारी इस मामले में हुई. लालू यादव के अलावा जगन्नाथ मिश्र भी मामले में गिरफ्तार हुए थे.
चाईबासा में पहली बार हुआ खुलासा
चाईबासा के डीसी अमित खरे ने वर्ष 1996 में पहली बार पशुपालन घोटाले का खुलासा किया था. बाद में कई जिलों से चारा के नाम पर बड़े घोटाले का मामला खुलता गया. पहला मामला मार्च 2012 में चारा घोटाले से जुड़े एक केस में 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट के साथ दर्ज हुआ.
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