रांची(RANCHI) - झारखंडी खतियान संघर्ष समिति ने खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण के लिए चरणबद्ध आन्दोलन की रणनीति बनाई है. पहले चरण में सभी झारखण्ड के खतियानधारी विधायक को ज्ञापन सौंपना और दूसरे चरण में 25 फरवरी से संपूर्ण झारखंड में खतियान रथ यात्रा निकाली जाएगी.
बाघमारा विधायक को ज्ञापन सौंपा
22 फरवरी मंगलवार को झारखण्डी खतियान संघर्ष समिति ने आज बाघमारा विधायक ढूल्लू महतो को आगामी विधानसभा सत्र में खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण की मांग रखने के लिए ज्ञापन सौंपा और सदन में खतियान के पक्ष में मतदान करने की अपील की, बहुत जल्द सभी विधायक को ज्ञापन सोंपा जाएगा.
झारखंड में खतियान रथ यात्रा निकालने की योजना
झारखंड में खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण के लिए झारखंडी खतियान संघर्ष समिति 25 फरवरी से सम्पूर्ण झारखंड में खतियान रथ यात्रा निकालेगी और आगामी विधानसभा सत्र में खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण के लिए जनजागरण करके सरकार पर दबाव बनाएगी, ताकि झारखंड से भाषाई विवाद हमेशा के लिए खत्म हो और झारखण्डियों को वास्तविक हक मिल सके.
सरकार ने बोकारो-धनबाद से भोजपुरी व मगही भाषा को वापस ले लिया
झारखंड में विभिन्न क्षेत्र में भाषाओं की विविधता पायी जाती है.पिछले दिनों बोकारो-धनबाद समेत कई जिलों में सरकार द्वारा मगही,भोजपुरी,अंगिका भाषा लागू करने से जिस कदर विवाद उत्पन्न हुआ जो देखते ही देखते जन आक्रोश के रूप में बदलने लगा.झारखण्डी भाषा संघर्ष समिति व आम जनता की दबाव को देखते हुए सरकार ने बोकारो-धनबाद से भोजपुरी व मगही भाषा को वापस ले लिया.लेकिन अभी भी पूरे झारखंड प्रदेश से उक्त भाषाएं नहीं हटाया गया है, इसलिए विवाद ज्यों का त्यों बना हुआ है. साथ ही साथ ऊर्दू, बंगाली,उडिया भाषा को झारखंड के द्वितीय भाषा की सूची से हटाने की मांग उठने लगी है.
उधर भोजपुरी-मगही भाषी भी आन्दोलन की रणनीति बना रहे हैं.
खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कराना नितांत आवश्यक
इससे झारखंड की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अशांति उत्पन्न होने की खतरा है.लिहाजा इन परिस्थित को देखकर भाषाई विवाद से ऊपर उठकर खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कराना नितांत आवश्यक हो गया है.इसके लिए झारखंड के तमाम सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन मिलकर सरकार को खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण की दबाव बनाई जाए. इस गंभीर परिस्थिति को देखकर झारखण्डी खतियान संघर्ष समिति की गठन किया गया है. समय पर खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू हो और इसके बाद ही नियुक्ति हो सके, इसी में हम सभी झारखंडी की भलाई है. इसके लिए भाषाई विवाद से उपर उठकर सोंचने की जरूरत है.मौके पर भूनेश्वर महतो,इमाम सफी,राजेश औझा, प्रशांत महतो मौजूद रहे.
रिपोर्ट :रंजना कुमारी (रांची ब्यूरो )

Recent Comments