सरायकेला (SARAIKELA) महाभारत काल के पौराणिक धरोहरों को समेटे भीमखांदा धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर कवायद की जा रही है. यह स्थल राजनगर प्रखंड क्षेत्र के बाना टांगरानी पंचायत में है. बता दें कि आदिवासी कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन की अनुशंसा पर ऐतिहासिक पौराणिक स्थल भीमखांदा का सौंदर्यीकरण कर भव्य एवं आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम शुरू हुआ. जिला प्रशासन की टीम एवं ग्रामीण विकास विभाग ने भीमखांदा धार्मिक स्थल का सर्वे किया. मौके पर मौजूद भीमखांदा ट्रस्ट के सचिव सह झामुमो के केंद्रीय सदस्य गोपाल महतो भी मौजूद रहे.
ये हैं आकर्षण
राजनगर मुख्यालय से भीमखांदा करीबन 12 किलोमीटर दूर बोंगबोंगा नदी के तट पर है. यह महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास को दर्शाता है. मान्यता है कि महान धनुर्धर अर्जुन द्वारा स्थापित बाबा पाण्डवेश्वर महादेव शिवलिंग भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करता है. वहीं श्री श्री एकता संकल्प वृक्ष आगंतुक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसी प्रकार महाबली भीम द्वारा बनाया गया विशालकाय चूल्हा भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र रहा है. प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर भक्त पहुंच कर चूल्हे में घुसकर आर पार होते हैं. इसके साथ ही मान्यता है कि महाबलशाली गदाधारी भीम के पैर के निशान यहां मौजूद हैं, वहीं महाधनुर्धर अर्जुन द्वारा छोड़े गए बाण भी हैं. बहरहाल भीमखांदा महाभारत काल का प्रतीक और आस्था का केंद्र बना हुआ है. इसे सूबे और देश के मानचित्र पर लाने के प्रयास की सराहना की जा रही है. इसका परिणाम आने वाले समय में क्षेत्र के विकास और बेहतर पर्यटन के रूप में देखा जा सकेगा. मंत्री चंपई सोरेन के निर्देश एवं प्रयास से वनों एवं धार्मिक स्थलों जाहेरथान की रक्षा के लिए चाहरदिवारी किए जाने का कार्य किया जा रहा है.
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