रांची(RANCHI): झारखंड सरकार ने एक सितंबर को कैबिनेट की एक अहम बैठक बुलाई है. सियासी पेंच में फंसे हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस कैबिनेट में कुछ बड़े फैसले लेकर राज्य की जनता को अपनी ओर करना चाहेंगे. झारखंड अभी सबसे ज्यादा सुखाड़ की मार झेल रहा है. राज्य के करोड़ों किसान मुख्यमंत्री से ढेरों उम्मीद लगाए बैठे हैं. ऐसे में आज का दिन किसानों के लिए बड़ा दिन होने वाला है. आज हेमंत कैबिनेट में किसानों के लिए बड़ा एलान हो सकता है.

झारखंड में सुखाड़ की स्थिति भयावह है. राज्य में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं. मगर, इस साल मॉनसून से जितनी उम्मीद थी, राज्य में उतनी बारिश नहीं हुई. जिसके कारण किसान खेती नहीं कर पाए. पिछले साल की तुलना में इस साल 46 प्रतिशत कम खरीफ की फसल हुई है. धान की बिचड़ा 75 फीसदी से कम हुई है. ऐसी स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग ने 243 प्रखंडो को सुखाड़ से ग्रसित बताया और अपनी रिपोर्ट आपदा प्रबंधन को भेज दिया है. इसके साथ ही कृषि विभाग की टीम लगातार राज्य के कई जिलों में सुखाड़ की स्थिति का जायजा ले रही है. अलग-अलग जिलों में कैम्प लगाए जा रहे हैं.

अगस्त तक सुखाड़ घोषित करने का है प्रावधान

झारखंड सूखा नियमावली 2016 में प्रावधान है कि सूखे की घोषणा मौसम के प्रारंभ में ही करना है. अगस्त महीने तक राज्य में सुखाड़ की घोषणा हो जाती है. क्योंकि अगस्त महीने को प्रारंभिक मौसम माना जाता है. जून और जुलाई में अगर कम वर्षा होती है तो सूखा होने की संभावना बढ़ जाती है और फसल बोए जाने वाले क्षेत्र में काफी कमी आती है. इसी कारण सुखाड़ की घोषणा जल्दी करने का नियमावली में प्रावधान है. मगर, इस साल सितंबर शुरू हो चुका है, मगर अभी तक इसे लेकर कोई घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में राज्य के किसान सरकार के विरोध में हैं. राज्य में जिस तरह से सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है, उसके बीच राज्य सरकार किसानों का विरोध नहीं चाहती. इसलिए माना जा रहा है कि आज के कैबिनेट में राज्य में सुखाड़ की घोषणा हो सकती है और साथ ही में किसानों के लिए राहत पैकेज की भी घोषणा हो सकती है.   

पिछले 5 साल में खेती की स्थिति सबसे बुरी

कृषि विभाग ने आपदा प्रबंधन को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें पांच सालों की खेती का आकलन किया गया है. पिछले 5 सालों में पहली बार इस साल यानि कि 2022 में 30 फीसदी जमीन पर ही धान की खेती हुई है. वहीं पिछले साल 2021 की बात अकरें तो अब तक 91 फीसदी से ज्यादा कृषि वाली जमीन पर धान की खेती हो चुकी थी. 2020 में ये आंकड़ा 90 फीसदी, 2019 में 50 फीसदी और 2018 में 71 फीसदी था.       

वहीं अगर कुल खरीफ फसल की बात करें, जिसमें मक्का, दलहन, तीलहन और मोटा अनाज भी शामिल है तो इस साल 2022 में खरीफ की फसल मात्र 37.19 प्रतिशत ही हो पायी है, जो पिछली बार से 46 प्रतिशत कम है. राज्य में पिछली बार सुखाड़ की घोषणा 2018 में हुई थी. उस साल भी इस साल से बढ़िया खेती हुई थी.