टीएनपी डेस्क (TNP DESK) :  किसी भी साहित्यकार के लिए पद्मश्री अवार्ड मिलना एक सपना होता है. एक व्यक्ति आजीवन अपने क्षेत्र में लगातार योगदान देता है, इस उम्मीद में की एक दिन उसके परिश्रम और योगदान को सराहा जाएगा. और किसी के काम के लिए सराहना के लिए पद्मश्री से बड़ा और क्या हो सकता है. ऐसा ही हुआ है कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षक डॉ जानुम सिंह सोय के साथ. हो भाषा में इनके अतुल्य योगदान और बेहतर कार्य के लिए भारत सरकार ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की है. बता दें कि भारत सरकार ने  बुधवार को ही अधिसूचना जारी कर उन्हें सम्मान दिया. 

हो और हिंदी भाषा में दिया योगदान

डॉ जानुम सिंह सोय ने काफी लंबे समय के लिए कोल्हान विश्वविद्यालय में सेवा दी थी. फिलहाल वह रिटायर हो चुके हैं. उन्होंने हिंदी भाषा में पीएचडी भी की है. इन्होंने दोनों ही भाषा में अनगिनत उपलब्धियां हासिल की हैं.  यही कारण है कि भारत सरकार इन इस साल उन्हें  पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की हैं. 

युवा साहित्यकारों को मिलेगा बढ़ावा

पद्मश्री मिलने की घोषणा पर डॉ जानुम सिंह सोय ने खुशी जताई है. इन्होंने कहा कि ऐसे सम्मान मिलने पर  लोग अपने क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं. इससे अन्य लोगों को भी साहित्य के क्षेत्र में आने का बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने युवा साहित्यकारों से भी अपील की है कि साहित्य क्षेत्र में लगातार योगदान देते रहें, एक ना एक दिन मुकाम हासिल हो ही जाएगा.

अर्जुन मुंडा ने दी बधाई

पद्मश्री अवार्ड की घोषणा होने के पश्चात जनजातीय मामले के मंत्री अर्जुन मुंडा, कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ गंगाधर पांडा, कुलसचिव डॉ जयंत शेखर के अलावा अन्य पदाधिकारियों ने भी उन्हें बधाई दी है.