रांची(RANCHI): राज्य की हेमंत सरकार निजी क्षेत्र में झारखंड के स्थानीय युवाओं को नौकरी दिलवाने की दिशा में अचानक से काफी रेस नजर आ रही है. इस मामले में पहल करते हुए श्रम विभाग की ओर से अब तक करीबन पांच हजार कंपनियों को नोटिस दिया गया है. दरअसल राज्य सरकार इस मामले में पहले ही विधानसभा से एक कानून पास कर चुकी है, जिसके तहत राज्य में कार्यरत वैसी सभी कंपनियों को जिनके पास कम से कम 10 श्रमिक कार्यरत है, उन्हे अपनी कंपनियों में 75 फीसदी मानव संसाधन झारखंड के स्थायी निवासियों से भरना है. राज्य की सभी कंपनियों को श्रम विभाग के पोर्टल पर अपना निबंधन करवाना है. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के निर्देश के बाद अब तक करीबन 11 सौ कंपनियों के द्वारा निबंधन करवाया गया है. हालांकि अभी राज्य सरकार का पोर्टल काम नहीं कर रही है, इसी लिए कंपनियों से अभी ऑफलाईन निबंधन करवाने को कहा गया है.
बहुत पुरानी है निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग
दरअसल सरकारी नौकरियों के सिमटने के बाद अब सिर्फ निजी क्षेत्र में ही नौकरियां मिल रही है, और निजी क्षेत्र अपने कर्मचारियों का चयन अपने मापदंड के अनुसार करता है, इसके कारण कई बार वहां से स्थायीय लोगों को नौकरियां नहीं मिल पाती, साथ ही निजी क्षेत्र में नौकरियां देते वक्त हर सामाजिक समूह को समूचित प्रतिनिधित्व देने पर जोर नहीं होता.
अटल बिहार वाजपेयी की सरकार ने किया था वादा
यही कारण है कि लम्बे अर्से से निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग की जाती रही है, जब अटल बिहार की वाजपेयी की केन्द्र में सरकार थी, तब भी इसका वादा किया गया था, हालांकि वह वादा पूरा नहीं हो सका, लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार ने इसे झारखंड में लागू करने का फैसला लिया.
निजी क्षेत्र में नौकरियां दिलवाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध- नलिन सोरेन
यहां बता दें कि झारखंड विधान सभा की ओर से एक कमेटी का गठन कर इस कानून की उपयोगिता की जांच की जा रही है. साथ ही कमेटी के द्वारा हर जिले के इसकी रिपोर्ट मांगी गयी है. विधान सभा की कमेटी के अध्यक्ष नलिन सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में नौकरियां दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध है. पहली बैठक में विभाग की ओर से कई जानकारियां मुहैया करवायी गयी है, जल्द ही कमेटी जिलावार भ्रमण कर इसका आकलन करेगी.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार

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