धनबाद(DHANBAD): बिहार में नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी, झारखंड में हेमंत सोरेन और चंपई सोरेन.  कहानी बिलकुल समान है.  एक मामला 2014  में हुआ था तो दूसरा मामला 2024 में हुआ है.  मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने के बाद चंपई सोरेन फिलहाल खामोश है.  आगे वह खामोश ही रहेंगे  या कुछ सोच रहे हैं, यह कहना अभी जल्दवाजी होगी,  लेकिन इतना तो तय है कि चंपई सोरेन को फिलहाल झारखंड की राजनीति में इग्नोर नहीं किया जा सकता.  28 जून 2024 को हेमंत सोरेन जब जेल से बाहर आए, तो यह समझा जाने लगा था कि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की कुर्सी पर खतरा है.  हेमंत सोरेन ने पहले दो-चार दिन नेताओं, कार्यकर्ताओं और अपने समर्थकों के बीच रहे.  हेमंत सोरेन इस समय झारखंड के  माहौल को समझने  में लगाए और स्थिति को समझने की कोशिश की. 

3 जुलाई को ही तय हो गया था कि हेमंत सोरेन बनेगे सीएम 
 
फिर 3 जुलाई को हेमंत सोरेन ने फैसला लिया और निर्णय हो गया कि बिहार की पटकथा झारखंड में भी लिखी जाने वाली है.  वैसे चंपई सोरेन ने 31 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद अपनी ताकत और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं में अपनी  स्वीकार्यता   को साबित कर दिया था.  उस समय चर्चा यही थी कि कल्पना सोरेन को सरकार और संगठन की जिम्मेदारी सौंपी  जा सकती है.  लेकिन ऐसा नहीं हुआ और चंपई सोरेन ने बाजी मार ली.  चंपई सोरेन के साथ ठीक वैसा ही हुआ, जैसा जीतन राम मांझी के साथ बिहार में हुआ था.  झारखंड का यह नाटकीय घटनाक्रम बिहार से पूरी तरह से मिलती-जुलती है.  बिहार और झारखंड की पटकथा में थोड़ा  अंतर जरूर है, क्योंकि हेमंत सोरेन जेल जाने से पहले अपना इस्तीफा दिया था, जबकि नीतीश कुमार चुनाव में हार  की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था.  2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा. 

नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर बनाया सीएम 

 इसके बाद नीतीश कुमार ने हार  की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया था.   2014 में  जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बन गए, फिर जब राजनीतिक तूफान थोड़ा ठंडा पड़ा तो नीतीश कुमार ने मांझी का इस्तीफा माँगा.  माझी पहले तो इस्तीफा देने से इनकार किया, बाद में  मुख्यमंत्री पर छोड़ दिया.  यही से नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी में 36 का आंकड़ा शुरू हो गया. जीतन राम मांझी अपनी खुद की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम  मोर्चा का गठन कर लिया. इसके बाद माझी सियासत के राष्ट्रीय फलक तक पहुंच गए.  अभी वह केंद्र में मंत्री है.  वैसे, चर्चा यह है भी है कि  चंपई  सोरेन को गठबंधन समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया जा सकता है.  हेमंत सोरेन कैबिनेट में वह मंत्री भी बनाए जा सकते है. चुकीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा को दो विधायकों से अभी निबटना बाकी  है.  चमरा लिंडा और लोबिन  हेम्ब्रम. 

लोबिन हेंब्रम के खिलाफ स्पीकर से की गई है शिकायत 
 
लोबिन हेंब्रम को तो पार्टी से निष्कासित करने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है.  झारखंड मुक्ति मोर्चा के चुनाव चिन्ह पर बोरियो  से 2019 में निर्वाचित विधायक लोबिन  हेंब्रम के खिलाफ स्पीकर के पास मामला दर्ज कराया गया है.  लोबिन  हेंब्रम को 11 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का समय दिया गया है.  जवाब नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई हो सकती है.  इधर, चमरा  लिंडा लिंडा ने भी 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद लोकसभा का चुनाव लड़ा. उन्हें अभी पार्टी से केवल निलंबित किया गया है. स्पीकर के पास  उनके खिलाफ शिकायत नहीं  की गई है. एक ही तरह के आरोप में अलग-अलग कार्रवाई को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा पर सवाल किये जा रहे है.  जो भी हो ,लेकिन हेमंत सोरेन सोमवार को फ्लोर टेस्ट के बाद कैबिनेट का गठन करेंगे.  मंत्रियों के नाम की घोषणा होगी और यह घोषणा हेमंत सोरेन के लिए कम चैलेंजिंग नहीं कहीं जाएगी.  देखना है आगे आगे होता है क्या. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो