रांची(RANCHI): खतियानी जोहार यात्रा के तहत मुख्यमंत्री सिमडेगा के बाद चाईबासा पहुंचे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यहां पर समीक्षा बैठक की. इस समीक्षा बैठक में उन्होंने सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली. मुख्यमंत्री को पता चल गया कि जिलों में किस तरह से अधिकारी कामकाज करते हैं.सरकार तो योजना बना देती है लेकिन साहब और बाबू के टेबल से फाइल गुजरने में कितना समय लगता है. चाईबासा के टाटा कॉलेज ग्राउंड में आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री का तेवर कुछ ज्यादा कड़ा दिखा.
इस समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और कुछ विभागों के सचिव भी मौजूद थे. समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में शिथिलता पाई गई. मुख्यमंत्री नाराज दिखे उन्होंने साफ तौर पर संकेत दिया कि अगर अधिकारियों का रवैया इस तरह से रहा तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के संबंध में सिमडेगा और चाईबासा जिले में काम बहुत संतोषजनक नहीं दिखा है. मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि वे आवेदनों को जल्द से जल्द निष्पादित करने में रूचि दिखाएं. राज्य सरकार की अन्य योजनाओं के प्रगति की भी समीक्षा की गई. डीएमएफटी फंड के खर्च का भी ब्यौरा अधिकारियों से लिया गया.
वैसे तो मुख्यमंत्री ने बहुत खुलकर अपनी सरकार के जिला स्तरीय अधिकारियों की क्रियाशीलता तो नहीं बताई लेकिन इतना संकेत जरूर दिया कि कि कुछ अधिकारी लापरवाह हैं. सरकार उन्हें छोड़ेगी नहीं. खतियानी जोहार यात्रा का दूसरा चरण चल रहा है. इसकी शुरुआत कोडरमा से हुई.उसके बाद मुख्यमंत्री गिरिडीह गए सिमडेगा गए.अब फिर चाईबासा आए. जिला स्तरीय समीक्षा बैठक से मुख्यमंत्री को पता चल गया कि पानी तो बहता है.पर कहां ठहरा हुआ है यह समझ में आ रहा है. बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरकार में कई कोई खोट नहीं होती है.उसके अधिकारी ही उसे बदनाम करते हैं या फिर उनका नाम होता है. इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अधिकारियों के कामकाज पर अपने सिस्टम के हिसाब से नजर रखनी चाहिए.मॉनिटरिंग करनी चाहिए.

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