टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड सरकार के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं और अब सरकार में शामिल गठबंधन की सभी पार्टियां से लेकर विपक्ष तक चुनाव की तैयारी में जुटने लगा है. मगर, इसके ठीक पहले ही झामुमो और कांग्रेस में फूट होती दिख रही है. नेताओं के बयान से ऐसा लग रहा है कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कांग्रेस ने नियोजन नीति को लेकर बेहद ही चौंकाने वाला बयान दिया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सरकार की नियोजन नीति को दोषपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार की नियोजन नीति दोषपूर्ण थी. इसी कारण कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.

कांग्रेस ने सरकार को दिया एक महीने का समय  

बता दें कि झारखंड में कांग्रेस, झामुमो और राजद मिलकर गठबंधन की सरकार चला रहे हैं. पिछले महीने ही कोर्ट ने सरकार की नियोजन नीति 2021 को रद्द कर दिया. इससे राज्य के युवा और बेरोजगार लोग आक्रोशित हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस ने राज्य सरकार को एक महीने का वक्त दिया है. राजेश ठाकुर ने कहा कि वे नियोजन नीति बनाने के लिए हेमंत सरकार को एक महीने का समय देते हैं. इसके बाद कांग्रेस आगे की रणनीति तय करेगी. उन्होंने ये भी कहा कि राज्य में नियोजन नीति को लेकर नकारात्मक राजनीति की जा रही है.   

रोजगार देना सरकार के चुनावी एजेन्डा में शामिल          

राजेश ठाकुर ने आगे कहा कि वे चाहते हैं कि राज्य में एक अच्छा फूलप्रूफ नियोजन नीति बने, ताकि युवाओं को जल्द ही रोजगार मिल सके. नियोजन नीति नहीं होने से युवाओं को नौकरी मिलने में कठिनाई हो रही है. इससे युवा वर्ग खासा नाराज है. रोजगार देना सरकार के चुनावी एजेन्डा में शामिल हैं. ऐसे में युवाओं को जल्द रोजगार मिलना चाहिए. बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने ये बयान धनबाद में दी. वे भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने रांची से मंदार हिल (बांका) जा रहे थे. इसी बीच वे धनबाद सर्किट हाउस में रुके थे.

कोर्ट ने नियोजन नीति किया रद्द

बता दें कि झारखंड सरकार की नियोजन नीति 2021 को कोर्ट ने रद्द कर दिया है. झारखंड हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया. कोर्ट ने कहा कि नियोजन नीति में संविधान के अनुच्छेद-14 और अनुच्छेद-16 का खुला उल्लंघन किया गया है. बता दें कि झारखंड सरकार की नियोजन नीति में प्रावधान था कि झारखंड के 10वीं और 12वीं पास करने वाले उम्मीदवार ही यहां तृतीय और चतुर्थवर्गीय नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे. इसके साथ ही इस नीति में स्थानीय भाषा की सूची में से हिन्दी को हटाकर उर्दू को शामिल किया गया था.