टीएनपी डेस्क(TNP DESK): देश में नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है. 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा. आज चुनाव आयोग ने इसकी घोषणा की. नामांकन के लिए आखिरी दिन 29 जून को तय किया गया है. वहीं 21 जुलाई को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे.   

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और संविधान के अनुच्छेद 62 की बात करें तो अगले राष्ट्रपति का चुनाव मौजूदा राष्ट्रपति के कार्यकाल समाप्त होने से पहले हो जाना चाहिए.

राष्ट्रपति चुनाव कौन लड़ सकता है?

राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिए उम्मीदवार या प्रत्याशी को कम से कम 35 वर्ष की उम्र का होना अनिवार्य है. उम्मीदवार का भारतीय नागरिक होना सबसे जरूरी है. भारत का कोई भी नागरिक कितनी भी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है. दूसरा, उम्मीदवार के पास वो सारी पात्रता होनी चाहिए, जो एक लोकसभा सदस्य बनने के लिए होनी चाहिए. इसके साथ ही उसे कम से कम 100 विधायक जानते हैं. अब ये कैसे ते होगा कि कौन-कौन से विधायक राष्ट्रपति प्रत्याशी को जानते हैं. तो इसके लिए उम्मीदवार के पास कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक होने चाहिए.

क्या पहले भी इतने ही प्रस्तावक और अनुमोदक की जरूरत थी?

इसका जवाब है नहीं, पहले केवल 2-2 अनुमोदक और प्रस्तावक की जरूरत थी. मतलब कि उस दौर में चुनाव लड़ना आज की तुलना में ज्यादा आसान था. इस नियम का जब दुरुपयोग होने लगा तो नियम में संशोधन किया गया. 1974 में संविधान संशोधन कर इस 2-2 की संख्या को बढ़ाकर 10-10 कर दिया गया. फिर इसके बाद 1997 में फिर से संशोधन कर इस संख्या को बढ़ा कर 50-50 कर दिया गया.

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कौन दे सकता है राष्ट्रपति चुनाव में वोट

राष्ट्रपति चुनाव आम चुनाव की तरह प्रत्यक्ष नहीं होता है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से होता है. इसका मतलब है कि इस चुनाव में जनता सीधे तौर पर भाग नहीं लेती. मगर, जनता द्वारा चुने गए सांसद और विधायक इस चुनाव में जरूर भाग लेते हैं. मगर, इस चुनाव प्रक्रिया में राज्यसभा और विधान परिषद में नामित सदस्य और विधानपार्षद शामिल नहीं हो सकते. केवल निर्वाचित राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद और विधायक ही इसमें वोट दे सकते हैं.  वहीं अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री विधानपरिषद का सदस्य है तो वह भी इस चुनाव में भाग नहीं ले सकता.

वहीं ये चुनाव पूरी तरह से गोपनीय होता है. कोई भी विधायक या सांसद अपने वोट के बारे में बता नहीं सकते है, अगर वे ऐसा करते हैं तो उनका वोट रद्द हो जाएगा. वहीं अगर किसी पार्टी के विधायक या सांसद ने पार्टी के उम्मीदवार को छोड़ किसी अन्य को वोट दिया है तो उस पर पार्टी ह्विप जारी नहीं कर सकती. 

ज्यादा वोटों पर नहीं होती जीत पक्की

चुनाव में आम तरीका ये होता है कि जिसे ज्यादा वोट मिल गया वो जीत जाता है. मगर, राष्ट्रपति चुनाव में नियम अलग है. विजेता वोटों की संख्या पर नहीं बल्कि वोटों के वेटेज पर तय होता है. राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार को सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल मूल्य का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करना होता है. 

वतर्मान समय की बात करें तो राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों का वेटेज 1098903 है. मगर, जम्मू-कश्मीर में अभी विधानसभा निलबित है. इस कारण उसके वोट का मूल्य जो 6,264 है उसे घटा दिया जाएगा. इसे घटाने के बाद राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कम से कम 5,46,320 वोट मूल्य की जरूरत होगी.