टीएनपी डेस्क(TNP DESK): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुजरात गए थे. वहां उन्होंने पावागढ़ के कालिका माता मंदिर में ध्वज फहराई. आपको आश्चर्य होगा कि इस मंदिर में 500 साल बाद ध्वजा फहराई गई है. इसके पीछे भी कहानी है और ये कहानी सिर्फ इस मंदिर की नहीं, बल्कि इस मंदिर को ध्वस्त करने वाले एक सुल्तान की है, जिसे जहरीला सुल्तान भी कहा जाता था.
दरअसल, कालिका माता का मूल मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था. इसके बाद 15वीं सदी में इस मंदिर के शिखर को उस समय गुजरात का सुल्तान रहे महमूद बेगड़ा ने ध्वस्त कर दिया और इस मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बनवा दी.
जहर खाने के लिए कुख्यात था सुल्तान
महमूद बेगड़ा एक ऐसा सुल्तान था जो काफी कुख्यात था. कहा जाता है कि वह जहर खाता था. इसी कारण उसे जहरीला सुल्तान भी कहा जाता था. बता दें कि महमूद बेगड़ागुजरात का छठा सुल्तान था और उसका पूरा नाम अबुल फत नासिर-उद-दीन महमूद शाह प्रथम था. उसने 52 सालों तक गुजरात की गद्दी पर राज किया. उसने जब गद्दी संभाली थी तो उसकी उम्र मात्र 13 साल थी. उसने 1459 ईसवी से 1511 ईसवी तक गद्दी पर राज किया. उसे जहर खाने के साथ साथ राक्षसी भोजन का भी काफी शौक था.
महमूद बेगड़ा गुजरात के सबसे शक्तिशाली शासकों में शुमार तो था ही वह सबसे कट्टर मुस्लिम शासक भी था. उसने बेहद ही कम वक्त में जूनागढ़ और पावागढ़ जैसे इलाकों पर कब्जा कर लिया था. उसके बारे में कहा जाता है कि जब भी वो किसी युद्ध में जीतता तो बंदियों को जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाता था और जो ऐसा नहीं करते उन्हें मार देता था. अपनी कट्टरता के कारण महमूद बेगड़ा पर कई मंदिरों को तोड़ने का भी आरोप लगा है. उसने अपने शासन के दौरान पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर तुड़वाया था. इसके साथ ही उस पर द्वारका मंदिर को भी तुड़वाने का आरोप है. उसने 1472 में द्वारका मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था. इसके पीछे उसका सिर्फ एक मकसद था- लोगों की आस्था हिंदू भगवान से कम करना. द्वारका मंदिर का निर्माण दोबारा तो 15वीं सदी में हो गया मगर, महाकाली मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया था. इसके बाद अब जाकर मंदिर का निर्माण फिर से किया गया है. साथ ही मंदिर के ऊपर जो पीर सदनशाह की दरगाह बनाई गई थी उसे पास ही में शिफ्ट किया गया है.
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जहर क्यों खाता था महमूद बेगड़ा?
महमूद बेगड़ा के जहर खाने और उसके बदन पूरा जहरीला होने के बारे में कई इतिहासकारों ने अपने किताब में जिक्र किया है. पुर्तगाली यात्री बाबोसा ने अपनी किताब ‘द बुक ऑफ ड्यूरेटे बाबोसा वॉल्यूम 1’ में लिखा है कि बेगड़ा के पिता को डर था कि कहीं कोई बेगड़ा को जहर देकर ना मार डाले, इसलिए बचपन से ही उसे जहर देकर पाला गया था. बचपन से उसे थोड़ा-थोड़ा जहर दिया जाता था जिससे उसे नुकसान ना हो. मगर, इसे बाद में उसका पूरा शरीर ही जहरीला हो गया. इस किताब में जिक्र है कि महमूद बेगड़ा का शरीर इतना जहरीला हो गया था कि उसके शरीर पर अगर कोई मक्खी बैठ भी जाती तो वह मर जाती थी. उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने वाली कई लड़कियों और महिलाओं की भी मौत की बात कही जाती है. वहीं इटालियन यात्री लुडोविको डि वर्थेमा ने भी अपनी किताब ‘इटिनेरारियो डी लुडोइको डी वर्थेमा बोलोग्नीज’ में जहर खाने वाली बात का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि अगर बेगड़ा को किसी को मारना होता था तो उस व्यक्ति को बिना कपड़ों के अपने सामने खड़ा कराता और उस पर पान खाते हुए उस व्यक्ति पर थूक देता.
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