टीएनपी डेस्क (Tnp Desk):- लाल आतंक का सिकुड़ते दायरे से माओवादियों में खलबली औऱ एक बैचेनी पसरी हुई है. अब एक तरह की जोरदार कशकमश अपने मन में ही उनकी चल रही है, क्योंकि इस जिस तरह से फोर्स ने एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया. इससे बड़े-बड़े कमांडर और जेनरल सेक्रटरी सरीखे लीडर मारे गये . दरअसल, यह माओवादियों के लिए झटका ही नहीं था, बल्कि उनके वजूद पर ही संकट ला दिया है. आज हालत उनके लिए खुद को महफूज रखना ही चुनौती बन गई है. कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ दौरे पर आए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तो साफ चेतावनी दे डाली हथियार डाले नहीं तो बरसात के मौसम में भी चेन से सोने नहीं देंगे. इस फरमान के बाद तो लाजमी है कि बारिश के इस मौसम भी उनके लिए सुकून नहीं मिलने वाला. एंटी नक्सल ऑपरेशन घनघोर जंगलों में पानी बरसने के बावजूद चलेगा. क्योंकि मिशन अगले साल मार्च की आखिरी तारीख तक नक्सलियों का अंत करने का है.
अब फिर से पुराने पैंतरे आजा रहे नक्सली
हालांकि, नक्सलियों ने भी अपना पैतरा और चाल बदल लिया है. हमले की रणनीति और हमला करने का पुराना तरीका अपना रहे हैं. सुरक्षबलों से मुठभेड़ का सामना तो माओवादी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में अब छोटे समूह बनाकर हमला कर रहे हैं औऱ दहशत कायम करना चाहते हैं.. छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में कई हत्याएं नक्सलियों ने इसी इसी पैटर्न पर की वे चार से सात की संख्या में पहुंचकर वारदात को अंजाम देकर भाग जाते है. जिन गांवों में अब उनकी हनक और पकड़ कम होती है. उन गांवों में ग्रामीणों की हत्या कर डर का माहौल कायम करना चाहते हैं. पिछले दिनों पूवर्ती में मौजूद फोर्स के कैंप के करीब ही एक ग्रामीण की मुखबिरी की शक में हत्या की गई थी. इससे दो दिन पहले बीजापुर में दो आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व नक्सलियों को मारा गया था.
बीजापुर जिले में सबसे ज्यादा वारदात को अंजाम नक्सलियों ने दिया. इससे इन उन गांवों में खौफ का डेरा हो गया है. इसके चलते गांव वाले डर से बाहर नहीं निकल रहें हैं. नक्सलियों ने प्लानिंग के तहत कैंप के आसपास के गांवों को भी टारगेट करते हुए ग्रामीणों की हत्या की है. ताकि उनकी दहश तक कायम हो सके, जो खत्म होते जा रही है.
आईईडी बम बना हथियार
नक्सली अपने उखड़ते सल्तनत को सहेजन के लिए आईईडी बम विस्फोट कर सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. माना जाता है कि बस्तर में अब भी कई ऐसी सड़के हैं, जिनके नीचे नक्सलियों ने आईईडी दबा के रखी है. इसी महीने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के IED बलास्ट की चपेट में आने से कोंटा डिवीजन के ASP आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए थे. इस साल जनवरी महीने में बीजापुर के कटरू में बीच सड़क में आईईडी ब्लास्ट हुआ जिसमे आठ डीआरजी जवान शहीद हुए थे. इसके बाद बीजापुर के ही भोपालपट्टनम के पास एनएप पर नक्सलियों ने ब्लास्ट किया था. हालांकि यहां जवान बाल-बाल बचे थे. लिहाजा, इन सब को देखते हुए माना जा सकता है कि नक्सलियों के लिए आईईडी बम अभी भी बड़ा हथियार बन हुआ है. जिसका इस्तेमाल आगे भी करेंगे.
बरसात में एंटी नक्सल ऑपरेशन चलने से खलबली
लगातार मिल रहे झटके पर झटके से माओवादियों ने अपनी रणनीति बदली औऱ हमले का तरीका भी बदला है. लेकिन, जिस तरह पहली बार मॉनसून में भी एंटी नक्सल ऑपरेशन चलेगा. इससे तो लाजमी है कि साल के अंत होते-होते लड़ाई भंयकर देखने को मिलेगी. जिन पहाड़ो, जंगलों में मॉनसून के मौसम में सन्नाटा और शांति का बसेरा था. वहां गोलियों, बमो और हेलिकॉप्टर की आवाज सुनाई पड़ेगी.
सरकार ने अगले साल 31 मार्च तक का डेडलाइन तय कर दिया है कि नक्सलवाद का जड़ से सफाया कर देना है. इस एलान के बाद तो लाजमी है कि अभी इस लड़ाई में बहुत कुछ देखना बाकी है.
Recent Comments