सरायकेला (SARAYKELA ): कोरोना की रफ्तार अब सुपर फास्ट हो गई है.  आलम यह है कि हर दिन गुजरने के साथ कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी या तिगुनी हो रही हैं. तुलनात्मक रूप में सरायकेला के पड़ोसी जिले जमशेदपुर और चाईबासा के मुकाबले स्थिति थोड़ी ठीक है. जमशेदपुर में रोज 700 के करीब मामले आ रहे हैं.  वहीं सरायकेला जिले में 70 के करीब मरीज सामने आए हैं.  लेकिन हर दिन गुजरने के साथ इनके आंकड़ों पर गौर करें, हर दिन आकड़े बढ़ रहे हैं. शुक्रवार को एक दिन में 63 कोरोना मरीज आए हैं. यानी कोरोना पूरे रफ्तार में है.

हाट बाजारों में जमकर उड़ रही कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां

 राज्य सरकार ने भी कोरोना को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं और आम लोगों को जागरूक करने के साथ प्रशासन को भी कोरोना गाइडलाइन की पाबंदियां लागू करने के लिए  निर्देश दिया है.  लेकिन यह बड़ी दुखद पहलू है कि कोरोना की लगातार विकराल होती स्थिति के बीच जहां आम जनता बेफिक्र और लापरवाह नजर आ रही है,  वहीं प्रशासन मानो हाथ पर हाथ रखे चुप्पी साधे बैठा है. सरायकेला की हाट की स्थिति देख तो ऐसा ही लग रहा है. कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामले को लेकर विशेषज्ञों द्वारा जताई गई चेतावनी के बीच आज सरायकेला हाट में अन्य दिनों की भांति ही जमकर भीड़ उमड़ी. भीड़ इतनी थी की मानो तिल रखने की जगह ना हो.  अधिकतर लोगों ने ना मास्क पहना था, ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा था.  सभी कोरोना से बेफिक्र और लापरवाह इतने थे कि वे सिर्फ़ खरीदारी करने में मगन नजर आए. जिला मुख्यालय में उमड़ी सैकड़ों की भीड़ में कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने हेतु प्रशासन का कोई नहीं था.  बस मुख्य सड़क के किनारे दो चार डंडाधारी सिपाही नजर आए. वह भी सड़क जाम ना हो इस पर ध्यान देते नजर आए.

जनता और प्रशासन की संजीदगी समझ के परे

 इस पूरी स्थिति के बीच बड़ा सवाल जहां प्रशासन के सामने है वहीं आम जनता के सामने भी है.  कोरोना की दो लहरों के बीच लगभग हर परिवार ने अपना कुछ न कुछ खोया है या फिर कोरोना का प्रभाव उनके घर में जरूर दस्तक दी है.  बावजूद इसके इस तीसरी लहर में इतनी बेफिक्री और लापरवाही समझ से परे है.  वहीं प्रशासन की रणनीति भी समझ से परे हैं कि आखिर क्यों वह जनता को उनकी समझ के भरोसे छोड़ चुप्पी साधे बैठा है.  अगर जनता और प्रशासन का यही रवैया रहा तो आने वाले दिनों में कोरोना के विकराल रूप के बीच स्थिति विस्फोटक हो सकती है और फिर हमें पछताने के सिवा और कुछ ना नहीं बचेगा.

कहीं पर्व की मस्ती हमें भारी न पड़ जाए

 दरअसल में झारखंड का सबसे बड़ा पर्व मकर पर्व एक हफ्ते बाद आने वाला है.  सरायकेला समेत पूरे झारखंड के लोग मकर पर्व को काफी धूमधाम से मनाते हैं.  इसी को लेकर अभी बाजारों में काफी भीड़ उमड़ी है और लोग खरीदारी में मशगूल है.  यह सही है आने वाले पर्व को उत्साह से मनाना चाहिए. लेकिन क्या यह सही है कि पर्व के उत्साह में हम इतना खो जाए कि जिंदगी ही असुरक्षित हो जाए.  इस बारे में सभी को जरूर संजीदगी से सोचना चाहिए. अगर जिंदगी रहेगी तो आगे हर एक पर्व त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाएगा. क्या एक  साल हम एहतियात बरतकर, थोड़ी मस्ती को कंट्रोल कर अपनी जिंदगी को सुरक्षित रखने हेतु थोड़ा त्याग नहीं कर सकते.  कोरोना को तांडव मचाने को लेकर बस हमारे सहारे की जरूरत है और हम इसका अवसर उसे सहजता से प्रदान कर रहे हैं.  इस दिशा में हम सभी को जरूर सोचना चाहिए.  साथ ही प्रशासन को भी इस दिशा में सजग होना चाहिए. 

रिपोर्ट :विकास कुमार ,सरायकेला