गुमला(GUMLA)- जिला के विभिन्न इलाकों में इन दिनों हाथियों की सक्रियता काफी बढ़ती हुई नजर आ रही है. इससे लोगों को संम्पत्ति का तो नुकसान हो ही रहा है लेकिन वहीं वन विभाग लगातार हाथियों के जंगल से निकलने को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं.

इको सेंसेटिव जॉन का किया गया निर्माण

दरअसल गुमला जिला से दो राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरती है जिसके कारण कई स्थानों पर सड़कों का निर्माण भारत सरकार की ओर से करवाया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के सीमावर्ती जिला होने के कारण भी सड़कों का निर्माण करवाया जा रहा है जिसके कारण जिन जंगली इलाकों से सड़क गुजर रही है वहां पेड़ों की कटाई काफी हुई है. सरकार की ओर से पेड़ लगाने का आश्वासन दिया जाता है लेकिन उसपर कार्यवाई नहीं होता है. इसका कई उदाहरण जिला में बनी सदके है. आपको बता दें कि केंद्र की पर्यावरण विभाग की ओर से विगत दिनों जगलों के साथ ही जंगली जानवरों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इको सेंसेटिव जॉन का निर्माण किया गया. जिसमें पसडने वाले कई इट भट्ठा और कर्सर को बंद किया गया लेकिन वहीं सड़कों का निर्माण करवाकर जंगलों को सरकार बर्बाद कर रही है. जंगली हाथियों के जंगल से बाहर आने से डीएफओ श्रीकांत वर्मा भी काफी चिंतित हैं. उन्होंने लोगों से हाथी द्वारा किये गए नुकसान का मुआबजा देने की बात कहने के साथ ही लोगों  से हाथियों के साथ छेड़छाड़ ना करने की अपील की है.

जंगली हाथियों का जीवन हो रहा प्रभावित

अभी विगत दिनों से जिला में एनएचएआई के द्वारा कई सड़कों का निर्माण करवाया जा रहा है.  जिसमें गुमला बसिया रायडीह कामडारा भरनो सिसई क्षेत्र में काफी पेड़ क़ट रहे हैं जिससे जंगली हाथियों का जीवन प्रभावित होगा. स्थानीय लोगों ने कहा है कि जिन इलाकों में सड़कों का निर्माण होता है अगर वहां घर होता है तो पहले घर बनाने का मुआबजा दिया जाता है. उसके बाद घर तोड़ा जाता है लेकिन आप जब जंगली जानवरों के आवासीय इलाके को बर्बाद करते हैं तो उसे पहले व्यवस्थित करने की चिंता क्यों नहीं करते हैं. ये सरकार की उन जंगली जानवरों के प्रति सोच को दर्शाता है. जंगली जानवर हमारे प्रकृति का अहम हिस्सा है उसकी चिंता करनी होगी अन्यथा कुछ दिनों में यह पूरी तरह विलुप्त हो जाएंगे.

रिपोर्ट: सुशील कुमार सिंह, गुमला