टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड में ओमिक्रोन दिसंबर में ही आ गया था. एक जनवरी को रिम्स से जिन 87 सैंपल को जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा गया, उनमें से 14 में ओमिक्रोन की पुष्टि हुई है. जाहिर है झारखंड में कोरोना मामले में बिना तीर के निशाने साधे जा रहे थे. जीनोम सिक्वेसिंग मशीन नहीं होने का खामियाजा झारखंड के लोगों ने झेला. असर यह रहा कि सिर्फ जनवरी में 45 हजार से अधिक केस आए, वहीं 47 लोगों की जान भी इस महामारी ने लील ली.

 रफ्तार में कोरोना 
गौरतलब है कि जिस रफ्तार से झारखंड में कोरोना फैल रहा था, उसे देखते हुए एक्सपर्ट ने पहले ही ओमिक्रोन के सूबे में आने की आशंका जाहिर की थी. जिन 14 लोगों में ओमिक्रोन की पुष्टि हुई है, वे रिपोर्ट आने से पहले ही स्वस्थ हो चुके हैं. पर इस रिपोर्ट से जाहिर हो गया कि झारखंड में ओमिक्रोन ने दिसंबर में ही एंट्री कर ली थी. आशंका जाहिर की जा रही है कि इन 14 संक्रमित के संपर्क में जो लोग आए होंगे, उन्हें भी ओमिक्रोन वेरिएंट ने ही संक्रामक बनाया होगा. इनसब की जांच कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिए ही हो सकती. बहरहाल, झारखंड में इस रिपोर्ट के आने के बाद से बदलाव यह आया है कि अब ज्यादा से ज्यादा सैंपल भुवेनश्वर भेजने की तैयारी की जा रही है.