धनबाद(DHANBAD)- पांच राज्यों में चुनाव की कवायद के बीच कोयलांचल में एक बार फिर यह चर्चा शुरू हो गई है कि धनबाद संसदीय क्षेत्र से सांसद पीएन सिंह के बाद भाजपा का कौन धनबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा. लोग प्रश्न कर रहे हैं कि बढ़ती उम्र के कारण क्या 2024 में पीएन सिंह रिटायर्ड हो जाएंगे या फिर पार्टी उन्हीं पर भरोसा करेगी. भीतर ही भीतर कम से कम कोयलांचल के दो  लोग अपने को प्रत्यक्ष तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से दावेदार मान कर सक्रिय हैं.

सांसद पीएन सिंह ने क्या कहा जानिए

इस विषय पर सांसद पीएन सिंह ने कहा कि जो लोग यह चर्चा कर रहे हैं, वे पार्टी की नीतियों को नहीं जानते या समझते हैं. राजनितिक रूप से अभी भी हम सक्रिय है और 2024 के चुनाव में अभी ढाई वर्ष शेष है. स्वास्थ्य साथ दें तो वे चुनाव लड़ने को तैयार हैं. सांसद ने भाजपा के कई बड़े नेताओं के नाम भी गिनाये जो उनसे उम्र में बड़े है और सक्रिय हैं. उन्होंने राजनितिक रूप से अपने आप को 'जवान ' बताया. सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित अन्य का उदाहरण भी दिया, कहा कि सभी उनके उम्र के आसपास के हैं. कर्नाटक के तुमकुर जिले के सांसद जी .एस. वसवराज का नाम भी लिया ,जिनकी उम्र अभी लगभग 80 साल है. वे धनबाद सांसद पीएन सिंह से आठ साल बड़े हैं और पिछली बार उम्रदराज होते हुए भी पार्टी ने उनको टिकट दिया और वे जीते.

क्या कहा विधायक राज सिन्हा ने

भाजपा विधायक राज सिन्हा ने कहा कि सांसद अभी किसी भी एंगल से थके- हारे नहीं दिखते. धनबाद से लेकर बोकारो तक कोई कार्यक्रम नहीं छोड़ते. जनता में स्वीकार्यता और लोकप्रियता उनकी बनी हुई है और लगातार बढ़ रही है. वैसे हमारे यहां किस सीट से किसको कब लड़ना है ,यह पार्टी तय करती है. भाजपा में एक साधारण कार्यकर्ता भी प्रधानमंत्री बन जाता है. दूसरी पार्टियों में यह  नहीं होता.

पूर्व जिलाध्यक्ष हरि प्रकाश लाटा का मत

भाजपा के सबसे पुराने और समर्पित नेता व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हरि प्रकाश लाटा का कहना है कि अभी भाजपा में कोई वैकेंसी नहीं दिख रही है. पार्टी आंतरिक और बाहरी सर्वे कराती है,उसी के बाद कोई निर्णय लिया जाता है. अभी किसी सर्वे की चर्चा नहीं है. उन्होंने कहा कि सांसद पीएन सिंह अभी बहुत ही सक्रिय है. ऐसे में उम्मीदवार बदलने की बात केवल कुछ लोगो की अटकलबाजी ही हो सकती है.

राज सिन्हा, शेखर अग्रवाल रेस में

धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ,पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल और बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो के नाम भी चर्चा में शामिल है. हाल ही में ढुल्लू महतो ने अपने बयान में कहा था कि पार्टी उन्हें टिकट देगी तो वे सीट भाजपा की झोली में डाल देंगे. सांसद पीएन सिंह ने इस मुद्दे पर कहा कि यह सीट जब भाजपा के पास में ही है तो फ़िर झोली में डालने की बात कहा से आती है। चर्चा यह भी है कि क्या भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व पीएन सिंह को लेकर कोई सर्वे कराएगा या करा रहा है या फिर पीएन सिंह के बाद राज सिन्हा स्वाभाविक दावेदार बन जाएंगे ,क्योंकि रीता वर्मा  का टिकट काटकर पीएन सिंह को जब धनबाद लोकसभा क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया गया था, उस समय पीएन सिंह धनबाद से विधायक थे, हालांकि विधायक राज सिन्हा का कहना है कि किसी के हल्ला करने से कुछ नहीं होता ,पार्टी नेतृत्व जो करेगा ,वही सबको मान्य होगा.

विधायक रहते हुए प्रमोट हुए थे पीएन सिंह

विधायक रहते हुए प्रमोट कर लोकसभा लड़ने के लिए पार्टी ने पीएन सिंह का चुनाव किया था.  इधर, पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल भी जैसी की चर्चा है ,अपने को कमतर नहीं आंक रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से नजदीकी होने के कारण उन्हें धनबाद विधानसभा से चुनाव लड़ने का कथित रूप से ऑफर मिला था लेकिन  भविष्य की राजनीति को देखते -समझते हुए उन्होंने दावेदारी से इंकार कर दिया था. हालांकि प्रस्तावित निकाय चुनाव में वे आश्वस्त हैं कि पार्टी उन्हें ही मेयर पद पर अपना चेहरा बनाएगी. हालांकि चुनाव जब भी होंगे, पार्टी आधारित नहीं होगा. फिर भी पार्टी किसी न किसी का समर्थन तो करेगी ही. 

'बाबू साहब' की सीट मान लिया गया है धनबाद को

एक बात जो प्रमुख तौर पर सबकी जुबान पर रहती है कि सांसद पीएन सिंह धनबाद से तीन बार विधायक रहे और तीसरी बार सांसद हैं ,ऐसे में इस सीट को लोग 'बाबू साहब' की सीट घोषित कर दिए हैं, अब देखना यह भी हो सकता है कि क्या पार्टी नेतृत्व किसी  'बाबू साहब' की तलाश करेगी या फिर पी एन सिंह पर ही दांव खेलेगी. यह भी चर्चा होती है कि पीएन सिंह के दो पुत्र हैं, वह चाहेंगे कि अगर पार्टी 24 के  चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाती है तो अपने बेटे प्रशांत सिंह अथवा प्रवीर प्रियदर्शी को कोई न कोई राजनीतिक पद दिलाने की बात वे जरूर कर सकते हैं. भाजपा के कई पुराने शीर्ष नेताओं के बेटों को कहीं ना कहीं एडजस्ट किया गया है. लगातार पांच बार गिरिडीह के सांसद रहे रविंद्र पांडे का टिकट काटकर उनके बेटे को विधानसभा से लड़ाया गया था. धनबाद में भी कुछ इसी  तरह का  यह प्रयोग हो जाए तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए. वैसे धनबाद लोकसभा क्षेत्र को मिनी इंडिया कह सकते है। बाहर के प्रदेश से आकर बसे लोगों की संख्या यहां 80 फ़ीसदी है. ये भाजपा का गढ़ रहा है और पिछली बार धनबाद सांसद पीएन सिंह ने पूर्वी क्षेत्र में सबसे ज्यादा रिकार्डतोड़ बहुमत लाने वाले सांसद हैं. ऐसे में उनकी लोकप्रियता व स्वीकार्यता ही उनकी ताकत है. फिलहाल सांसद सेवानिवृत्त होने के मूड में नहीं है और 2024 चुनाव की तैयारी कर रहें हैं.

रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड ,धनबाद