धनबाद (DHANBAD) : मुख्यमंत्री चाहे बाबूलाल मरांडी हों या  अर्जुन मुंडा अथवा हेमंत सोरेन, लेकिन धनबाद का भवन प्रमंडल एक ऐसा विभाग है जिस पर किसी की नहीं चलती.  वह विभाग  अपने ढंग -तरीके से चलता है और जो चाहता है, वही करता है. आप कह सकते हैं कि धनबाद के भवन प्रमंडल में 'मुखे कानून' चलता है.  पहले काम करा लिया जाता है फिर टेंडर 'मैनेज' किया जाता है.  यह विभाग इतना बेखौफ है कि सर्किट हाउस, डीसी ऑफिस तक के कार्यों में कायदे -कानून को ठेंगे  पर रखता है.  

डीसी ऑफिस के कॉन्फ्रेंस हॉल का 2 साल पहले हुआ है काम, टेंडर अब

बताया जाता है कि डीसी ऑफिस के कॉन्फ्रेंस हॉल का 2 साल पहले 31 लाख की लागत से अग्रिम काम करवा लिया गया. इसी तरह सर्किट हाउस में भी रिपेयरिंग के कार्य करा लिए गए.  अब इन  कार्यों के अलावा  अन्य कार्यों के लिए बुधवार को टेंडर डाला गया.  पहले तो टेंडर खरीदने वालों को ही रोका गया लेकिन जो अड़ गए, उन्होंने कल टेंडर पेपर डालने की कोशिश की. लेकिन जैसा कि बताया जाता है, सभी को उनकी मुंह मांगी राशि देकर 'मैनेज 'कर लिया गया.  बताते हैं कि कुल 7 ठेकेदारों ने कॉन्फ्रेंस हॉल के काम का टेंडर पेपर खरीदा था, लेकिन उन्हें 'मैनेज 'कर लिया गया और जिस ठेकेदार ने काम किया, उसका ही टेंडर एल वन पड़ा है.  

टेंडर पेपर खरीदने वालो को मिली मुँह मांगी रकम

इसी तरह सर्किट हाउस के काम के लिए 11 ठेकेदारों ने टेंडर पेपर की खरीद की थी.  उन्हें भी जैसा कि बताया जाता है, राशि देकर मैनेज कर लिया गया.  सवाल उठता है कि क्या भवन प्रमंडल के कार्य सरकार द्वारा निर्धारित कायदे -कानून के अनुसार नहीं चलते हैं.  वहां क्या जो अधिकारी चाहेंगे, वही होगा.  ऐसे में कार्यों की गुणवत्ता क्या होगी ,यह तो भगवान ही जाने क्योंकि सारी बातें पहले से फिक्स है तो 'फूल -बेलपत्र 'की रकम के साथ ठेकेदार कितनी बचत करेगा, जब पहले से निर्धारित होगा तो काम की गुणवत्ता सही आखिर कैसे रह सकती है.  ऐसी बात नहीं है कि जिले से लेकर रांची तक के अधिकारियों को इन सब की जानकारी नहीं है.  मंत्री से लेकर संत्री तक जानते सब हैं, लेकिन होता वही है जो लोकल अधिकारी चाहते है.  ऐसे में इस विभाग का भगवान ही मालिक और विभाग जो काम कराता है उसका भी भगवान ही मालिक हो सकता है. 

रिपोर्ट : अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो प्रमुख ,धनबाद