Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले कराये जा रहे मतदाता पुनरीक्षण को लेकर बिहार की राजनीति गर्म हो गई है. पक्ष के लोगों का कहना है कि दूसरे राज्यों में वोटर बन चुके और गलत ढंग से मतदाता सूची में शामिल हुए वोटरों की जांच जरूरी है. उनका सत्यापन होना चाहिए. चुनाव आयोग अगर इस दिशा में कदम उठा रहा है, तो विपक्ष आखिर डर क्यों रहा है? इधर, इस विवाद में मोदी सरकार के मंत्री जीतन राम मांझी ने भी एंट्री ले ली है. तेजस्वी यादव समेत विपक्ष के नेताओं ने इसे वोटरों को अधिकार से वंचित करने का साजिश बताया है. ओवैसी ने तो यहां तक कर डाला है कि चुनाव आयोग के जरिए एनआरसी का एजेंडा लागू किया जा रहा है. अब जब जीतन राम मांझी की एंट्री हो गई है, तो उन्होंने कह दिया है कि वोटर वेरीफिकेशन से विपक्ष को डर इसलिए लग रहा है, कि फर्जी वोटरों के नाम हट जाएंगे. उनका कहना है कि उन्हें मालूम है कि राज्य के किन-किन क्षेत्रों में फर्जी वोटर बने हुए है.
आरोप -कहीं फर्जी वोटरों की संख्या तीस हज़ार तक है
इनकी संख्या कहीं 25000 तो कहीं 30000 तक है . जब ऐसे फर्जी वोटरों के नाम हटेंगे ,तो डर तो उन्हीं को होगा, जो गलत होंगे. अगर विपक्ष के सभी वोटर सही है, तो फिर उन्हें डर क्यों लग रहा है? जीतन राम मांझी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनके पिता पर भी गंभीर आरोप लगाए है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के पिता लाठी में तेल पिलाते थे. उन्हें अपने पिता के नक्शे कदम पर चलना चाहिए. अब वह कलम बांट रहे है. दरअसल वह कलम नहीं, तलवार बांट रहे है. वह 20 महीने का समय मांग रहे हैं, लेकिन जनता उन्हें समय नहीं देगी.
वोटर वेरीफिकेशन का विपक्ष कर रहा विरोध
हालांकि, वोटर वेरीफिकेशन पर प्रशांत किशोर ने भी विरोधी स्वर अख्तियार किया था. कहा था कि ऐसा करने के पहले चुनाव आयोग को सभी स्टेक होल्डर को विश्वास में लेना चाहिए था. आयोग को भरोसा दिलाना चाहिए कि जो काम होगा, वह पूरी पारदर्शिता के साथ होगा. इधर, बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने भी विपक्ष पर हमला बोला है. उन्होंने राजद और कांग्रेस पर संविधान विरोधी होने और संवैधानिक संस्था का अपमान करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि राजद - कांग्रेस बंगाल की राह पर चल पड़े है. उनमें ममता बनर्जी की संगत का असर दिख रहा है. वह सब बांग्लादेशियों की भाषा बोलने लगे है. विजय सिन्हा ने शनिवार को कहा कि जब भारत का चुनाव आयोग पवित्रता के साथ वोटरों की पहचान करना चाहता है, तो ऐसे में बेचैनी क्यों है? ऐसे लोग लोकतंत्र के दुश्मन हो सकते है. परिवारवाद को मजबूत करने के लिए यह लोग किसी भी हद तक जा सकते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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