गिरिडीह(GIRIDIH): गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के खेत को गांव में वन विभाग की टीम ने बिना नोटिस दिए बन रहे अबुआ आवास के दीवारों को ढाह दिया. यह घटना हजारीबाग रेंज के वनरक्षी आनंद प्रजापति और उसके टीम द्वारा अंजाम दिया गया है. बताया जाता है कि जिस जगह अबू आवास का निर्माण हो रहा था वह जगह रैयत का अपना जमीन है, जहां वर्षों से पूरा परिवार रह रहा है. सरकार द्वारा गरीबों को दी जाने वाली अबुआ आवास भी इस रैयत को मिला था परंतु अचानक वन विभाग की टीम में आकर कच्ची दीवारों को हाथ से ही गिरा दिया.
गिड़गिड़ाती रही महिला लेकिन ढ़ाह दी अबुआ आवास की दीवार
रैयत की पत्नी तारा पांडेय रो रोकर बोलती करती रही लेकिन टीम में एक भी नहीं सुनी और घर के सदस्यों के साथ गाली गलौज और महिला के साथ अभद्र व्यवहार कर चल दिया. अब सवाल उठता है कि जब वर्षों से यह रैयत उस जमीन पर घर बनाकर रह रहा था तब इतने वर्षों के बाद वन विभाग की टीम अतिक्रमण के नाम पर क्यों नहीं तोड़ा, तोड़ना ही था तो अतिक्रमण के नाम पर वन विभाग की टीम में उसे आसपास के जमीन पर बने घर पर या उसे इलाके में बसे रैयतो को अतिक्रमण का नोटिस देकर पूर्व से क्यों नहीं खाली करवाया ?
वीडियो वायरल होते ही चर्चा में आया वन विभाग
वन विभाग की टीम द्वारा तोड़े जा रहे हैं अबुआ आवास की दीवारों तथा महिला द्वारा टीम पर अनुनय तथा घर के दीवारो को नहीं तोड़ने की पूरी वीडियो सोशल मीडिया में ट्रोल कर रहा है जहां काफी लोग वन विभाग को पूछ रहे हैं कि आखिर आपने पूर्व में रैयत को नोटिस क्यों नहीं दिया.यह घटना बगोदर विधायक नागेंद्र महतो के गांव खेतको की है. ज़ब सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ तब बगोदर विधायक खुद स्थल पर पहुंचकर जायजा लिया और लोगों से पूछताछ किया तथा रैयत से भी बात की इस पर रैयत ने कहा कि हमारे साथ वन विभाग की टीम पहले आई थी और पैसे की मांग की थी पैसे नहीं देने के बाद अचानक आकर दीवारों को तोड़ दिया काफी मना करने के बाद भी हम लोगों के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए एक गर्भवती महिला के साथ भी अभद्र व्यवहार किया.
पढ़ें मामले पर विधायक ने क्या कहा
इधर विधायक में कहा कि झारखंड में जहां गरीबों को अबुआ आवास दिया जा रहा है तो वहीं दूसरे तरफ यहां के अधिकारी और सरकारी कर्मी अपनी मनमानी कर रहे हैं. जिनका जनता से कोई सरोकार नहीं रहा जिसका जीता जागता उदाहरण यह घटना है. उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर उच्च अधिकारियों से बात कर रैयत को उसका अधिकार दिलाने तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी. अब देखना होगा कि इस घटना को लेकर किन-किन सरकारी अधिकारियों और कर्मियों के ऊपर गाज गिरता है.
रिपोर्ट-दिनेश कुमार रजक
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