धनबाद (DHANBAD) : झारखंड कांग्रेस में सांप-सीढ़ी  का खेल शुरू हो गया है. यह खेल कुछ के गले की फांस बनने वाला है, ऐसा सूत्रों का दावा है. यह अलग बात है कि झारखंड के "घाघ  कांग्रेसी" प्रदेश अध्यक्ष को प्रत्यक्ष नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप से कमजोर दिखाने और बताने की लगातार कोशिश कर रहे है. हाल के दिनों में कुछ एक्शन ऐसे हुए, जिनसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सवालों के घेरे में है. सूत्रों के अनुसार 44 प्रखंड अध्यक्ष हटाए गए और फिर बहाल कर लिए गए. प्रखंड कांग्रेस पार्टी की सबसे निचली इकाई होती है. प्रखंड अध्यक्षों को हटाने की शिकायत जब ऊपर तक गई, तो उन्हें वापस जिम्मेवारी सौंप दी गई. मतलब एक तरफ फैसले लिए जा रहे हैं, दूसरी तरफ पलटे जा रहे है. 

प्रखंड अध्यक्ष बदले गए ,फिर बहाल किये गए 
 
धनबाद की बात अगर की जाए तो छह प्रखंडों के अध्यक्ष को बदला  गया.  इसी प्रकार पलामू के प्रखंड अध्यक्षों को बदला  गया, बोकारो के चास और चंदनकियारी के प्रखंड अध्यक्षों को बदला गया. फिर रोक लगाई गई. यह कांग्रेस के लिए कितना सेहतमंद हो सकता है यह तो भविष्य की बात है. इधर, प्रदेश कांग्रेस ने संगठन में नया फार्मूला लागू करने का ऐलान किया है. अब भारी भरकम कमेटी नहीं रहेगी. नई व्यवस्था में प्रखंड कमेटी में अध्यक्ष समेत 12, जिला कमेटी में अध्यक्ष समेत 24 और प्रदेश कमेटी में अध्यक्ष समेत 48 पदाधिकारी ही होंगे. प्रदेश अध्यक्ष का मानना है कि इस फार्मूले के लागू होने से संगठन अनुशासित बनेगा. 

कमेटियों का आकार सीमित करने के पीछे का तर्क 
 
कमेटियों का आकार सीमित कर दिया जाएगा और पदाधिकारी को जिम्मेदार बनाया जाएगा. इसके अलावा पदाधिकारी की कार्य शैली पर नजर रखने के लिए कड़ाई भी तय की जाएगी. अगर कोई पदाधिकारी लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहता है, तो उसे पदमुक्त कर दिया जाएगा. कमेटी में जिम्मेवारी लेने वाले और सक्रिय कार्यकर्ताओं को ही स्थान मिलेगा. खैर, जो भी हो खासकर बिहार चुनाव को देखते हुए झारखंड में भी कांग्रेस नए ढंग से काम करने की शुरुआत कर रही है. लेकिन बीच-बीच में राजनीति इतनी हावी हो जाती है कि कांग्रेस फायदे के बजाय नुकसान होने लगता है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो