धनबाद(DHANBAD) | झरिया को अब "झरिया" नहीं जहरिया बोलिए हुजूर!! झरिया में प्रदूषण की वजह से जहरीला वातावरण बन गया है. जनता कह रही है कि माननीय तो हमारे लिए सब कुछ है, पर वह तो झरिया में रहते नहीं. इसलिए झरिया- जहरिया बन जाए, इससे उनको क्या ?उनके आरोप में दम तो है. झरिया के पुराने इतिहास को टटोले तो आबो देवी को छोड़कर झरिया का कोई विधायक झरिया में बहुत दिनों से नहीं रहे. शायद इसी वजह से जनता खुलकर आरोप लगा रही है. जनता की मांग है कि झरिया को "झरिया" ही रहने दिया जाए, उसे बर्बाद नहीं किया जाए. कोयलांचल में लगातार बारिश की वजह से झरिया का वातावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है.
प्रदूषण की वजह से झरिया के लोग अपनी आयु से कम जी रहे
वैसे , पहले से ही झरिया के लोग अपनी आयु से कम जी रहे है. अग्नि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को पुनर्वासित करने के लिए देश का सबसे बड़ा मास्टर प्लान बना. इसके बाद इसमें संशोधन भी हुआ. झरिया के लोगों के पुनर्वास स्थल बेलगड़िया को कौशल विकास क्षेत्र से जोड़ने की पहल भी हो रही है. झरिया की भूमिगत आग के निरीक्षण न केवल कोल इंडिया के अधिकारी , बल्कि केंद्र सरकार के बड़े-बड़े अधिकारियों में भी किया है और शायद उन्हें की रिपोर्ट पर संशोधित मास्टर प्लान झरिया के लिए पास किया गया है. वैसे भी इलीगल माइनिंग और पोखरिया खदानों की वजह से झरिया का प्रदूषण चरम पर है.
ज़िले के अन्य विधानसभा क्षेत्र भी है प्रदूषण की चपेट में
ऐसी बात नहीं है कि झरिया विधानसभा क्षेत्र ही प्रदूषण की चपेट में है. बात हम धनबाद विधानसभा क्षेत्र की करें, तो इसके भी कई इलाके प्रदूषण की चपेट में है. बाघमारा भी प्रदूषण से और भू धंसान से कराह रहा है. सिंदरी विधानसभा क्षेत्र भी प्रदूषण से अछूता नहीं है. ऐसे में झरिया से जो मांग उठ रही है, वह दूर तक जाएगी. प्रदूषण की चपेट में झरिया की बूढ़ी हड्डियां कराह रही है. अधिकारी और राजनीतिक दल के लोग बहुत रुचि नहीं ले रहे है. लेकिन कुछ समाजसेवी संस्थाएं हैं ,जो झरिया को प्रदूषण मुक्त करने के लिए लगी हुई है.
स्वयंसेवी संस्थाएं लगी तो है लेकिन परिणाम उन्हें नहीं मालूम
यह अलग बात है कि स्वयंसेवी संस्थाएं भी नहीं जानती कि झरिया कब प्रदूषण मुक्त होगा? होगा भी अथवा नहीं, लेकिन प्रयास किए जा रहे है. झरिया के विधायक बदलते रहे, बीसीसीएल के सीएमडी बदलते रहे, पुनर्वास के लिए बनी संस्था के अधिकारियों का अधिकार घटता- बढ़ता रहा, लेकिन झरिया में प्रदूषण बढ़ता ही गया. "ज्यों -ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता ही गया" की तर्ज पर झरिया अब "जहरिया" बन गई है. झरिया से वर्तमान में भाजपा के टिकट पर रागिनी सिंह विधायक है. रागिनी सिंह के सामने भी बड़ी चुनौती है कि झरिया में जो भी बचे -खुचे कूचे लोग हैं, उन्हें प्रदूषण से कैसे मुक्ति मिलेगी?मिलेगी भी अथवा नहीं.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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