पाकुड़ (PAKUR): पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा और हिरणपुर प्रखंड के हजारों युवा, माता-पिता और बुजुर्गों की आंखों में जो सपना पल रहा था – वो अब एक ठोस हकीकत बनकर सामने आ गया है. वर्षों से जिस उच्च शिक्षा की आस इन पहाड़ी रास्तों और कच्ची सड़कों से होकर गुजरती थी, आज वह मॉडल डिग्री कॉलेज के रूप में गांव की चौखट पर दस्तक दे रही है. लिट्टीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र के रांगा गांव के समीप बना यह कॉलेज, सिर्फ एक भवन नहीं है – यह उन हजारों सपनों की नींव है, जिन्हें दूरी, गरीबी और संसाधनों की कमी ने अब तक दबाकर रखा था. यहां के युवा जो अब तक 30 से 70 किलोमीटर दूर जाकर पढ़ने को मजबूर थे, या मजबूरी में पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते थे –अब अपने ही गाँव में बैठकर उच्च शिक्षा हासिल कर सकेंगे. यह कॉलेज उन बेटियों की मुस्कान है, जिन्होंने घर की दहलीज़ से बाहर निकलने का सपना तो देखा था, पर सामाजिक बंदिशों और लंबी दूरी के डर ने उनके पंख काट दिए थे। अब उनके पंखों को फिर से उड़ान मिलेगी.

यह वह आशा है,जो चंदन भगत, विकास दास, अमित कुमार, मुकेश साहा, जीत दे,उत्तम भगत,सूरज रूज जैसे स्थानीय युवाओं की आवाज बनकर 2019 में मुख्यमंत्री रघुवर दास तक पहुँची थी. और मंच से ही मुख्यमंत्री ने उस आवाज को न सिर्फ सुना, बल्कि तीन दिन में डिग्री कॉलेज की स्वीकृति देकर यह साबित किया कि जब युवाओं का इरादा मजबूत हो, तो सरकार भी उनके साथ खड़ी होती है.

24 सितंबर को जब सरकार ने कॉलेज निर्माण के लिए 15 करोड़ 61 लाख रुपये स्वीकृत किए, तब यह सिर्फ बजट की बात नहीं थी – यह उस संघर्ष की जीत थी, जो पीढ़ियों से यहां के लोगों ने सहा था. आज जब यह कॉलेज बनकर तैयार है, तो लिट्टीपाड़ा और हिरणपुर के हर घर में एक नयी रोशनी फैली है. यह रोशनी सिर्फ पढ़ाई की नहीं, आत्मनिर्भरता की है, सम्मान की है और भविष्य की है. अब लिट्टीपाड़ा सिर्फ एक नाम नहीं, शिक्षा का नया इतिहास बनेगा.

रिपोर्ट: नंद किशोर मंडल/पाकुड़