रांची(RANCHI): झारखंड में जेपीएससी परीक्षा परिणामों के आने के बाद भी छात्रों के मन में कई सारे सवाल बाकी हैं. एक बार फ़िर छात्र के मन में प्रकाशित परिणाम को लेकर कई उधेड़बुन जारी है, जिनमें सबसे बड़ा सवाल ये है की जब कट-ऑफ मार्क्स जारी ही नहीं हुए हैं, तब इंटरव्यू की तारीख कैसी घोषित हो गई.

रिजल्ट प्रकाशन मे छात्रों को करना पड़ा था इंतज़ार 

जेपीएससी परिणाम प्रकाशन में भी छात्रों को लंबा इंतजार करना पड़ा था. इस दौरान उन्होंने कई सारे विरोध प्रदर्शन किये थे जिसमें छात्र अनशन पर भी बैठने को मजबूर हो गए थे. बता दें कि बीते साल जेपीएससी प्रीलिम्स और जेपीएससी मेन्स की परीक्षा हुई थी, जिसके बाद प्रीलिम्स के परिणाम तो प्रकाशित हुए पर जेपीएससी मुख्य परीक्षा परिणाम प्रकाशन में देरी हो रही थी. ऐसे में अब करीबन 11 महीने बीत चुके थे और स्टूडेंट्स की आंखें परिणमो के इंतजार में थक चुकी थी. तब छात्रों ने जेपीएससी कार्यालय के बाहर धरना दिया, साथ ही राज्यपाल तक का दरवाजा खटखटाया था. राज्यपाल से मिलके छात्रों को ये आश्वासन मिला था, की वह आयोग को जेपीएससी परिणाम प्रकाशित करने के निर्देश जल्दी से जल्दी देंगे. हुआ भी ऐसा ही, उन्होंने आयोग को परिणाम प्रकाशित करने के निर्देश दिए और तीन से चार दिनों के भीतर ही रिजल्ट प्रकाशित हो गया और करीबन 850 छात्र परीक्षा में सफल रहें थे. इसके कुछ ही दिनों बाद इंटरव्यू की तारीख भी घोषित कर दी गई है.                          

कट-ऑफ मार्क्स नही हुआ है जारी 
पर बड़ा सवाल यहा ये है कि बिना कट ऑफ मार्क्स के रिजल्ट कैसे प्रकाशित हो सकते हैं? साथ ही आरक्षण कोटा के मार्क्स भी जाहिर नहीं किए गए हैं जिससे छात्रों के मन में अभी भि यह सवाल है कि वह सचमुच सफल हुए भी है या नहीं.

वही इस मामले को लेकर जेएलकेएम नेता देवेन्द्रनाथ महतो ने एक बार फिर से राज्यपाल से मुलाकात की है. उनका कहना है कि आयोग ने संविधान की धारा 15 और 16, जिसमें कोटिवार आरक्षण की बात है, उसका उल्लंघन किया है. वही देवेन्द्रनाथ महतो ने ये भी कहा की आयोग ने खुद के नियमों का, गजट के नियामो का और संविधान के नियामो का भी उल्लंघन किया गया है. ऐसे में देवेन्द्रनाथ महतो ने राज्यपाल से पुन: संशोधित रिजल्ट प्रकाशित करने की मांग की है. वही इसपर राज्यपाल की ओर से भी उन्हें ये आश्वासन मिला है कि वह आयोग से इसका जवाब जरूर मांगेंगे.    
                                       
अब इसे झारखंड का दुर्भाग्य कहे या छात्रों का दुर्भाग्य की झारखंड में कभी सफल परीक्षा हो ही नही पाती है. गजब तो यह है की झारखंड में अब 10 वी बोर्ड के पेपर भी लीक होने लगे है, और अगर पेपर लीक से बच जाए तो इस तरह के मामले छात्रों को त्रस्त करने लग जाते है. ऐसे में सवाल ये भी उठता है की आखिर इन स्टूडेंट्स के भविष्य का होगा क्या ? आखिर इन छात्रों के रोजगार की जिम्मेदारी लेगा कौन और किसके भरोसे ये छात्र अपने उज्ज्वल भविष्य की कामना करेंगे ?