रांची (RANCHI): एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स और हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य में मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना, जिसे आमतौर पर आयुष्मान भारत योजना के नाम से जाना जाता है, को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया. इसमें देश में चल रही केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले 10 महीनों से निजी अस्पतालों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अस्पतालों को काफ़ी लंबे समय से पैसे का भुगतान नहीं किया जा रहा है. साथ ही, इस वर्ष फरवरी की शुरुआत से सभी अस्पतालों को कोई भुगतान नहीं मिला है। इसके अलावा, 212 अस्पतालों को पिछले 10 महीनों से कोई भुगतान नहीं हुआ है.
इस कारण अस्पतालों को चलाना बेहद मुश्किल हो गया है, क्योंकि अधिकांश रोगियों के पास अब आयुष्मान कार्ड है। चिकित्सकों ने कहा कि राज्य की लगभग 88% आबादी इस एमएमजेएवाई योजना के तहत इलाज के लिए पात्र है। ऐसे में अस्पतालों के सामने भारी वित्तीय संकट उत्पन्न हो गया है. इसके कारण कई अस्पताल अपना संचालन बंद करने की कगार पर हैं.
प्रेस को संबोधित करते हुए डॉ. प्रदीप यादव ने बताया कि झारखंड की धरती से ही आयुष्मान योजना की शुरुआत हुई थी, ऐसे में झारखंड में अस्पतालों के साथ सरकार का ऐसा व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और आयुष्मान योजना के प्रभारी तक भी अपनी बात पहुँचाई है. वहीं, उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि अस्पतालों को आयुष्मान योजना के तहत बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए.

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