चाईबासा(CHAIBASA): एक ओर जहां झारखंड सरकार गांव-गांव में बेहतर स्वास्थ्य सेवा बहाल करने और बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करती है, तो वहीं राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुविधा को मुंह चिढ़ा रही है. पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुण्डी प्रखंड क्षेत्र के जेटेया थाना अंतर्गत पड़ने वाले शुकरापाड़ा गांव में एक बच्चा दम तोड़ता नजर आ रहा है.हैरानी की बात तो यह है कि इस गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम और ना ही चलंत स्वास्थ्य वाहन की गाड़िया पहुंचती है. जिसके कारण इन क्षेत्र में इस आधुनिक युग में भी ग्रामीण इलाज के बजाय झारफुंक के चक्कर में सिमटे हुए है और कई जान गवां बैठे है.
अब खतरे में पड़ी बच्ची की जान
आपको बताये कि पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा क्षेत्र में पड़ने वाले नोवामुण्डी प्रखंड क्षेत्र के जेटेया थाना अंतर्गत पड़ने शुकरापाड़ा गांव में इलाज के अभाव में एक बच्चे की जान खतरे में है. जहां एक 1 साल 3 महीने की बच्ची एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी से जूझ रही है. बच्ची का सिर उसके शरीर की तुलना में असामान्य रूप से बड़ा होता जा रहा है, जिससे उसके जीवन पर गहरा संकट मंडरा रहा है.
इलाज में असमर्थ है परिवार
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता प्रमिला पात्रो जब इस सूचना के बाद गांव पहुंचीं तो उन्होंने पाया कि बच्ची के पिता शारदा केराई एक दैनिक मजदूर है और उनकी पिता जर्मन केराई गंभीर रूप से बीमार है. उनके हाथ में पुराना घाव और पैरों में सूजन है, जो लंबे समय से ठीक नहीं हो पा रहा.रिवार ने बताया कि वे एक बार इलाज के लिए बाहर गए थे, लेकिन उन्हें 15,000 का खर्च बताया गया, जो उनकी आर्थिक स्थिति से बाहर था. पैसे की कमी और जागरूकता के अभाव में उन्होंने बच्ची का इलाज झाड़-फूंक और पुजारी के पूजा-पाठ के जरिए शुरू करवा दिया.
इस वजह से कम्यूनिकेशन में होती है परेशान
गांव जंगलों के बीच बसा हुआ है, जहां तक पहुंचना मुश्किल है और आज भी कोई सरकारी सुविधा नहीं पहुंची है.गांव के लोग न तो हिंदी बोलते हैं और न ही ओड़िया, जिससे संवाद और सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचने में कठिनाई होती है.प्रमिला पात्रो ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और बच्ची को तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाए, साथ ही ऐसे दूरदराज के गांवों में स्वास्थ्य जागरूकता, सरकारी योजनाओं की जानकारी और चिकित्सा सुविधा पहुंचाई जाए.
रिपोर्ट-संतोष वर्मा
Recent Comments