धनबाद(DHANBAD):  टाइगर जगरनाथ  महतो के बाद दूसरे शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.  काल  ने उन्हें असमय छीन लिया. उनके इलाज में कोई कोर -कसर नहीं छोड़ी गई ,लेकिन बचाया नहीं जा सका.  रामदास सोरेन कोल्हान से 2024 में झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद बड़े नेता के रूप में उभरे थे.  लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.  रामदास सोरेन को कोल्हान का टाइगर भी कहा जाने लगा था.  चंपाई  सोरेन के भाजपा में जाने के बाद रामदास सोरेन तेजी से उभरे थे.   पहले से बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा में उनकी पहुंच और ऊपर हो गई थी.  दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब जेल गए तो कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपाई  सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. 
 
चम्पाई  सोरेन कुछ महीनों तक झारखंड के सीएम रहे 
 
चम्पाई  सोरेन ने कुछ महीनो तक मुख्यमंत्री के रूप में काम किया.  इसके बाद हेमंत सोरेन जेल से रिहा  हो गए.  रिहाई के बाद चंपाई  सोरेन और हेमंत सोरेन में मनमुटाव बढ़ने लगा.  हेमंत सोरेन फिर मुख्यमंत्री बन गए और चंपाई  सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.  इसके बाद वह बीजेपी में चले गए.  झामुमो  के लिए कोल्हान का क्षेत्र खाली हो गया था.  इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने रामदास सोरेन को कैबिनेट में जगह देकर कोल्हान में लम्बी लकीर खींच दी.   कहा जाता है कि चुनाव के ठीक पहले जब चंपाई  सोरेन भाजपा में चले गए, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा को झटका लगा था.  चंपाई  सोरेन के बराबर के नेता की तलाश होने लगी थी.  इसके बाद कोल्हान से ही दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाने वाले रामदास सोरेन को कैबिनेट में जगह दी गई. 
 
रामदास सोरेन झारखंड आंदोलन के समय शिबू सोरेन के साथ हुआ करते थे
 
रामदास सोरेन झारखंड आंदोलन के समय शिबू सोरेन के साथ हुआ करते थे.  उनकी विश्वसनीयता और कोल्हान क्षेत्र में खाली हुई जगह को भरने के लिए झामुमो ने उन्हें कैबिनेट में जगह  दी.  कहा तो यह भी जा रहा था कि चंपाई  सोरेन अपने साथ झामुमो  के कई नेताओं को लेकर जाएंगे.  उसमें रामदास सोरेन का नाम भी लिया जा रहा था.  लेकिन शिवराज सिंह चौहान और हेमंता  विश्व शर्मा की मौजूदगी में चंपाई  दादा भाजपा में चले गए, लेकिन रामदास सोरेन झामुमो  में ही बने रहे.  उसके बाद झामुमो  में उनका कद ऊंचा हो गया और वह कैबिनेट मंत्री बन गए.