धनबाद (DHANBAD) : तमिलनाडु में सिनेमा स्टार विजय थलापति की रैली में ऐसा सैलाब उमड़ा कि कुछ ही समय में 39 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद यह सवाल उठने लगा कि साउथ में फिल्मी सितारों के लिए ऐसी "दीवानगी" क्यों होती है? जिसमें लोग अपनी जान की भी परवाह नहीं करते है. दक्षिण भारतीय फिल्म स्टार को "भगवान" से कम नहीं मानते है. एमजी रामाचंद्रन, जयललिता, एनटी रामाराव, चिरंजीवी, विजयकांत, पवन कल्याण, रजनीकांत, कमल हसन सहित अन्य लोगों की लंबी लिस्ट है. इनके लिए जनता में गजब की भक्ति देखी जाती है. अभिनेता से नेता बनने के बावजूद भी यह भक्ति कायम रहती है. दरअसल, दक्षिण भारत में धार्मिक मान्यताओं को लेकर जिस तरह आम लोगों में अटूट निष्ठा दिखती है, वैसे ही फिल्मी हस्तियां के लिए भी अटूट प्यार दिखता है.
आखिर फैंस का क्यों टूट जाता है धैर्य, पढ़िए
जब लोग अपने किसी स्टार को खुद के बीच पाते हैं, तो उनका धैर्य टूट जाता है. हैदराबाद में फिल्म के प्रीमियर में 4 दिसंबर 2024 को ऐसा ही हादसा हुआ था. इस भगदड़ में भी एक महिला की मौत हो गई थी. इसके पहले भी इस तरह की घटनाएं होती रही है. दक्षिण भारत के फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत को उनके प्रशंसक एक तरह से "देवता" की तरह मानते है. यही वजह होती है कि चुनाव के समय सभी दल के लोग उनका समर्थन पाने की कोशिश में रहते है. एनटी रामा राव भी फिल्म से राजनीति में आए और काफी सफल रहे.
सिनेमा से राजनीति में आये लगातार होते रहे सफल
तमिल फिल्मों की अभिनेत्री जयललिता भी सिनेमा से राजनीति में आई और उसके बाद राजनीति में वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखी , इस संबंध में जानकारों का कहना है कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक अथवा केरल की फिल्मों में स्थानीय धार्मिक सांस्कृतिक मान्यताओं और परंपराओं को लेकर श्रद्धा दिखती है. फिल्म इंडस्ट्री और उनके कलाकार भी फिल्मी पर्दे पर ऐसी भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करते. यही वजह है कि दक्षिण भारत में धर्म, सामाजिक रीति रिवाज, खानपान, भाषा और रहन-सहन को लेकर, जो परंपराएं लंबे समय से चली आ रही है. यही वजह है कि पर्दे पर दिखने वाले अभिनेता भी जनता के बीच "देवतुल्य" हो जाते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

Recent Comments