धनबाद(DHANBAD)- झारखंड में भाषा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. बोकारो और धनबाद जिले की क्षेत्रीय भाषा की सूची में भोजपुरी और मगही भाषा को शामिल करने को लेकर जहां कुछ स्थानीय लोग व संगठन विरोध कर रहे थे. अब उसे हटाने को लेकर भोजपुरी ,मगही बोलने वाले सड़क पर उतर कर विरोध कर रहे हैं. झारखंड सरकार ने 24 दिसंबर '21 को जिला स्तरीय पदों के लिए जनजातीय भाषाओं सहित क्षेत्रीय भाषाओं की सूची जारी की थी. धनबाद -बोकारो में भोजपुरी और मगही बोलने वालों ने कहा कि भाषा हटाने से उनकी अंतरात्मा पर चोट पहुंची है.
हेमंत सरकार, मंत्री और कांग्रेस नेताओं का हुआ पुतला दहन
आज भोजपुरी, मगही बचाव समिति ने हेमंत सरकार सहित कांग्रेस नेताओं का पुतला दहन किया. पुतला दहन करने पहुंचे भोजपुरी मगही बचाओ मंच के मदन राम ने कहा कि धनबाद -बोकारो से बिना सर्वे किए ही भोजपुरी और मगही को हटा लिया गया. उन्होंने कहा कि झारखंड किसी की जागीर नहीं है, हमारा है और हमारा रहेगा. हमारे वोट से ही सरकार बनी है. हम अपने मान- सम्मान से खिलवाड़ नहीं होने देंगे. जितेंद्र पासवान ने कहा कि जिस समय मिट्टी खोदकर झारखंड को संवारने की जरूरत थी, उस समय तो अपने को स्थानीय कहने वाले लोग भाग खड़ा हुए. जब सब कुछ ठीक-ठाक हो गया तो अब भोजपुरी मगही, अंगिका भाषा बोलने वालों को बाहरी बताया जा रहा है. ऐसा नहीं चलेगा और हम होने भी नहीं देंगे.
भाई को भाई से लड़ा रही है झारखण्ड सरकार
कांग्रेस नेता अभिषेक सिंह उर्फ़ नन्हें सिंह ने कहा कि 1912 में धनबाद -बोकारो कभी मानभूम का हिस्सा था और भाषा के आधार पर ही इसे उस समय बिहार में शामिल किया गया था. कौन कहता है कि धनबाद बोकारो ग्रामीण अंचलों में भोजपुरी ,मगही नहीं बोली जाती. उन्होंने धनबाद के कई गांव का उदाहरण भी दिए. भाजपा नेता मुकेश सिंह ने कहा कि अपनी नाकामी छुपाने के लिए सूबे की सरकार ने मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए यह सब कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि 1932 के खतियान की बात हो रही है तो ये विधायक ,सांसद जब नामांकन करते हैं तो क्यों नहीं खातियान दिखाने की मांग हो रही है. बीएमएस के जिला मंत्री धर्मजीत चौधरी ने कहा कि झारखंड सरकार जो चिंगारी फैला रही है. उससे झारखंड का ही नुकसान होगा. भाई से भाई को लड़ाने का जो काम कर रही है, उसका परिणाम तो अच्छा नहीं ही होगा. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन और शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अपनी नाकामी छिपाने के लिए इन लोगों ने अपने फंड से भाषा आंदोलन खड़ा करवाया. वे लोग भाषा के नाम पर राजनीति का विरोध करेंगे.
रिपोर्ट :अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड ,धनबाद
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