जमशेदपुर (JAMSHEDPUR) : राज्य में पिछले कुछ समय से 1932 के खतियान को लागू करने को लेकर लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. स्थानीय नीति से लेकर नियोजन नीति में इसे लागू करने की मांग है. इसी बीच कल विधानसभा में सीएम हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर एकदम से यू टर्न लेकर जोरदार तरीके से कह दिया कि कानूनन खतियान आधारित नियोजन नीति बन ही नहीं सकती. यहां तक कि ये भी स्पष्ट कहा कि उन्होंने 5 लाख नौकरियों का वायदा कभी नहीं किया था. इसपर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और झारखंड के कद्दावर नेता सरयू राय ने जहां शायरी के जरिए तंज कसा, वहीं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने भी उन्हें पुराने दिनों की याद दिला दी.
वो वादें, वो तख्तियां...
वर्तमान में भाजपा में शामिल कल के उनके जेएमएम के पुराने साथी और छोटे भाई समान पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने सीएम के यू टर्न पर सवाल उठाते हुए पिछली विधानसभा के दौरान उन तख्तियों की याद दिलाई जिसे लेकर वे लोग बैठे थे और जो खतियान आधारित नियोजन सह नौकरियों को लेकर थीं. कुणाल ने तंज कसते हुए कहा कि एक अप्रैल को ऐसा बोलते तो अप्रैल फूल समझकर टाल जाते. कुणाल षाड़ंगी का ट्वीट ""आपने स्वीकार किया कि खतियान आधारित नियोजन नीति नहीं बनेगी व 5 लाख नौकरियों की बात आपने कभी नहीं की. काश यह भाषण आपका 1st April को होता तो #AprilFoolsDay समझकर टाल जाते. पिछले विधानसभा में कितनी तख्तियां बनाई थी हमलोगों ने@HemantSorenJMM भैया इस विषय पर? आखिर ऐसा #UTurn क्यों?"" कुणाल षाड़ंगी ने इस ट्वीट से सीएम हेमंत सोरेन को याद दिलाया कि कैसे उन वादों/मांगों की तख्तियां लिए दोनों भाई पिछली विधानसभा में प्रदर्शन किया करते थे जब कुणाल हेमंत के साथ जेएमएम में थे. उन्होंने सवाल किया है कि भैया आज क्यों मुकर रहे हैं?
सरयू राय ने जबर्दस्त व्यंग्य करते हुए ट्वीट किया
लेकिन इतना काफी न था. जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और झारखंड के कद्दावर नेता सरयू राय ने जबर्दस्त व्यंग्य करते हुए ट्वीट किया- "विषयवस्तु से सहमत/असहमत होने की गुंजाइश के बावजूद विधानसभा में @HenantSorenJMM का आज का भाषण आत्मविश्वास से भरा था. इसे सुनकर जनाब आसिफ रिजवी का निम्नांकित शेर याद आ गया--
"मेरे महबूब ने वादा किया है पांचवे दिन का,
किसी से सुन लिया होगा कि दुनिया चार दिन की है"
इस शायरी को लोग खूब मज़े लेकर पढ़ रहे हैं. लोगों का कहना है कि सरयू राय ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में करारा व्यंग्य किया है कि खतियान आधारित नियोजन और पांच लाख नौकरियों का वादा ही अव्यवहारिक और सही नहीं था.
रिपोर्ट : अन्नी अमृता, ब्यूरो हेड, जमशेदपुर
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