धनबाद (DHANBAD) : यह बात 100 फीसदी  सच है कि झारखंड के घाटशिला विधानसभा उपचुनाव का परिणाम चाहे जो भी आए, सरकार की सेहत पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इतना तो तय है कि एनडीए, महागठबंधन और जयराम महतो की पार्टी का एक बार फिर लिटमस टेस्ट होगा. यह बात भी उतना ही सच है कि आया राम-गया राम का खेल खूब चलेगा. जिसकी चर्चा तेज हो गई है. 2024 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के रामदास सोरेन को 98,356 वोट मिले थे जबकि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को 75,910 वोट मिले थे. जेएलकेएम के रामदास मुर्मू को 8,092 वोट प्राप्त हुए थे. 

कोल्हान  के टाइगर चंपई सोरेन का नहीं चला था जादू 
 
मतलब कोल्हान के टाइगर चंपई सोरेन का जादू बिल्कुल नहीं चला था.  2009 में भी झामुमो के रामदास सोरेन घाटशिला सीट से जीते थे. 2014 में वह भाजपा के लक्ष्मण टुडू से हार गए थे. 2019 में रामदास सोरेन फिर विजई रहे. 2024 में भी वह चुनाव जीत गए. लक्ष्मण टुडू इलाके के बड़े नेता माने जाते है. 2024 में जब भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को टिकट दे दिया, तो नाराज लक्ष्मण टुडू भाजपा छोड़कर झामुमो  में चले गए. उन्हें भरोसा था कि पार्टी स्तर पर उन्हें कोई ना कोई सम्मान मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. इस बीच एक दुखद घटना में रामदास सोरेन का निधन हो गया. उसके बाद घाटशिला में उपचुनाव होना तय है. 

घाटशिला उपचुनाव का परिणाम बहुत कुछ बताएगा 
 
यह उपचुनाव एक साथ कई सवालों को जन्म दे दिया है. इतना तो तय है कि जिस ताम-झाम के साथ भाजपा ने चंपई सोरेन को पार्टी में शामिल कराया, उसका लाभ कोल्हान में पार्टी को नहीं मिला. यह अलग बात है कि चंपई सोरेन अपनी सीट बचा लिए, वह चुनाव जीत गए, लेकिन अपने बेटे की सीट पर उनका कोई जादू नहीं चला. अब यहां सवाल बड़ा हो गया है कि क्या उप चुनाव में भी भाजपा बाबूलाल सोरेन को घाटशिला विधानसभा से टिकट देगी अथवा नहीं? इतना तो तय है कि झामुमो स्वर्गीय रामदास सोरेन के परिवार से ही किसी को चुनाव लड़वाएगा. हो सकता है कि उनके बेटे को झारखंड मुक्ति मोर्चा उम्मीदवार बनाए, फिलहाल उपचुनाव को लेकर टिकट के लिए लॉबिंग तेज हो गई है. 2024 के चुनाव की तरह उपचुनाव में भी आया राम-गया राम का खेल शुरू होने की चर्चा है.  

चर्चा तेज है कि लक्ष्मण टुडू फिर लौटेंगे भाजपा में 

चर्चा तो यह भी है कि लक्ष्मण टुडू फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़कर भाजपा में आ सकते है. उनकी नजर घाटशिला से भाजपा के टिकट पर है. हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, फिर भी चर्चा तेज है. पाला बदलने वालों की पक्की सूचना अंतिम समय में ही मिलती है. आपको याद होगा जब चंपाई सोरेन भाजपा में शामिल होने की बात तय करने दिल्ली गए थे, तो कहा था कि वह तो अपनी आंखों का ऑपरेशन कराने के लिए दिल्ली आए है. अंतिम-अंतिम क्षण तक संशय बना रहा. बातें होती रही. चंपई दादा और लोबिन हेंब्रम भाजपा में शामिल हो गए,लोबिन हेम्ब्रम तो बोरियों से चुनाव हार गए लेकिन चंपई सोरेन चुनाव जीत गए. लेकिन अपने बेटे को घाटशिला से नहीं जीता पाए. अब अगर लक्ष्मण टुडू के भाजपा में शामिल होने की बात उठी है, तो इसका तो कोई ना कोई माने-मतलब होगा ही.

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो