टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : पहलगाम हमले पर झारखंड सरकार के दो मंत्रियों के बयान ने सरकार को बैकफुट पर लाने का काम किया है. एक तो स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी, जिन्होंने आतंकी को मार गिराने के जगह शहीद करने की बात कहते हैं, तो दूसरी तरफ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन जो सरिया कानून को संविधान के ऊपर बताते हैं. उन्होंने कहा कि अगर मुसलमानों को परेशान किया गया तो मारकाट मचेगी. पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरे देश के दिल में गुस्सा है, और इधर झारखंड के मंत्री दहशतगर्द को शहीद करने की बात कह रहे हैं. इन दोनों मंत्रियों के बयान का खूब विरोध हो रहा है. भाजपा ने इस मुद्दे पर सवाल अठाया है. सवाल उठाते हुए कहा कि झारखंड के ऐसे मंत्री हैं जो आतंकवादियों को शहीद करने की बात कहते है. सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि ऐसे मंत्री आखिर कब सुधरेंगे? और किसके इशारे पर ये लोग ऐसी हरकत करते हैं.
एक तरफ भाजपा आक्रोश रैली निकाल कर विरोध जताया तो दूसरी ओर प्रदेश प्रवक्ता अजय शाह ने मंत्री हफीजुल हसन के पीएचडी डिग्री की जांच की मांग की है. अजय शाह ने कहा कि, "मंत्री हफीजुल हसन ने एक विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री मिलने की खबर और तस्वीर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की है. भारतीय जनता पार्टी ने जब इसकी जांच की तो सच सामने आया कि जिस विश्वविद्यालय से उन्होंने यह डिग्री हासिल की है, वह पूरी तरह से कागजी संस्थान है. यह संस्था मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा संचालित है और इसका कोई कानूनी अस्तित्व नहीं है. विश्वविद्यालय शब्द को यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 22 में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. 'भारत वर्चुअल ओपन एजुकेशन यूनिवर्सिटी' को न तो यूजीसी ने मान्यता दी है, न ही भारत सरकार और झारखंड सरकार ने. यह विश्वविद्यालय 'सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी, अफ्रीका' से अपनी संबद्धता का दावा करता है, जबकि गहन जांच में पता चला कि यह दावा भी फर्जी है. इस संस्था को चलाने वाले लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगालने पर पता चला कि वे फर्जी डिग्री बांटने के धंधे में संलिप्त हैं."
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