टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड की राजनीति गलियारों में एक नया बवाल मच गया है. ये बवाल झारखंड सरकार के जल संसाधन एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन की पीएचडी की डिग्री को लेकर उठ गया है. दरअसल मंत्री हफीजुल हसन के फर्जी डिग्री व संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जांच अब सीबीआई करेगी.
बाबूलाल मरांडी के आरोप पर कार्रवाई की अनुशंसा
बता दें कि इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा भेजे गए आरोप पत्र पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की डीआईजी जया रॉय ने संज्ञान लेते हुए सीबीआई निदेशक को पत्र भेजकर मामले में आवश्यक कार्रवाई की अनुशंसा की है. नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने तीन मई को एनआईए को पत्र भेजकर मंत्री की पीएचडी डिग्री को फर्जी बताया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि मंत्री ने 'आधुनिक समाज में समाज कल्याण एवं राजनीति' विषय पर पीएचडी का दावा किया है, जो भारत वर्चुअल ओपन यूनिवर्सिटी से प्राप्त बताई जा रही है. जिसे न तो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और न ही भारत सरकार से मान्यता प्राप्त है.
30 अप्रैल से बंद कर दी गई है विश्वविद्यालय की वेबसाइट
आरोप सामने आने के बाद मंत्री हफीजुल हसन ने अपने 'एक्स' अकाउंट से संबंधित पोस्ट और तस्वीरें हटा दी हैं, जबकि संबंधित विश्वविद्यालय की वेबसाइट भी 30 अप्रैल से बंद कर दी गई है. इस मामले में जब मंत्री हफीजुल हसन से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने जवाब दिया कि वह फिलहाल कुछ नहीं कह सकते और बाद में इस बारे में बात करेंगे.
वहीं इस मामले को लेकर भाजपा ने आरोप लगाया है कि इस तथाकथित यूनिवर्सिटी को 'कॉन्सेप्ट एजुकेशन ट्रस्ट' नामक संस्था चला रही है, जो विदेशों में नौकरी और एडमिशन के नाम पर ठगी कर रही है. यह भी कहा गया है कि इस ट्रस्ट के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं. मरांडी ने आरोप लगाया कि संस्था सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट अफ्रीका से संबद्ध होने का दावा करती है और इसके चांसलर को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में डिग्री प्रदान की गई थी. भाजपा ने पूरे मामले को देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा बताया है और इसकी गहन जांच की मांग की थी.
भाजपा ने सरकार को घेरा
भाजपा के प्रवक्ता अजय शाह ने कहा था कि इस विश्वविद्यालय के संस्थापक भी कथित तौर पर एक विशेष समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. इस संस्था का निर्माण शरिया को सर्वोच्च मानकर किया गया है. विश्वविद्यालय ने खुद स्वीकार किया है कि उसका यूजीसी से कोई संबंध नहीं है. ऐसे में इस विश्वविद्यालय से प्राप्त डिग्री को वैध नहीं माना जा सकता. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस विश्वविद्यालय को अफ्रीका के एक विश्वविद्यालय से जोड़ा जा रहा है, लेकिन उस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. उस्मान का संबंध पाकिस्तान के इस्लामाबाद से है, जो पूरी प्रक्रिया पर संदेह पैदा करता है.
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